सवन्ना, जोर्जिया में नदी के निकट ऐतिहासिक क्षेत्र में, गोल बेमेल पत्थर बिछे हैं l स्थानीय निवासियों के अनुसार शताब्दियों पूर्व अटलांटिक महासागर पार करनेवाले जलयानों के लिए स्थिरक भार का काम करते थे l जब माल जोर्जिया में लादे जाने लगे, पत्थरों की ज़रूरत नहीं रही, इसलिए घाट के निकट सड़क पर बिछा दिए गए l उन पत्थरों ने जलयानों को स्थिरता देने का अपना प्राथमिक कार्य पूरा कर दिया l
हम भी इन दिनों अपने को अशांत सागर की तरह पाते हैं l हमें भी जीवन की तूफानों से निकलने के लिए स्थायित्व चाहिए l दाऊद ने भी खतरे का सामना किया l निराशाजनक समय के बाद परमेश्वर ने उसको स्थायित्व दिया और उसने परमेश्वर को सराहा l उसने घोषणा की, “उसने मुझे सत्यानाश के गड़हे और दलदल की कीच में से उबारा, और मुझ को चट्टान पर खड़ा करके मेरे पैरों को दृढ़ किया है” (भजन 40:2) l दाऊद का अनुभव लड़ाई, व्यक्तिगत् पराजय, और पारिवारिक झगड़ो का था, फिर भी परमेश्वर ने उसे खड़े होने का स्थान दिया l इसलिए दाऊद ने “परमेश्वर की स्तुति” की (पद.3) l
कठिनाई में, हम केवल अपने सामर्थी परमेश्वर द्वारा प्रदत्त स्थायित्व प्राप्त कर सकते हैं l उसका विश्वासयोग्य देखभाल हमें दाऊद के साथ कहने को प्रेरित करता है, “जो आश्चर्कर्म और कल्पनाएँ तू हमारे लिए करता है वह बहुत-सी हैं” (पद. 5) l