मैं कॉलेज लेखन कक्षा के अपने नए छात्रों के समूह का नाम पहले से जानता हूँ l मैं समय निकालकर छात्र नामावली से उनके नाम और तस्वीर से परिचित होता हूँ, इसलिए उनकी कक्षा में प्रवेश कर बोल सकता हूँ, “हेलो, जेसिका,” या “ट्रेवर स्वागत है l” मैं ऐसा करता हूँ क्योंकि मुझे ज्ञात है कि किसी को नाम से जानना और पुकारना कितना अर्थपूर्ण होता है l
फिर भी किसी को वास्तव में जानने के लिए उसके नाम से अधिक जानना होगा l यूहन्ना 10 में, हम अच्छा चरवाहा, यीशु का हमारे लिए सौहार्द और देखभाल देखते हैं, कि वह “नाम ले लेकर बुलाता है” (पद.3) l वह हमारे नाम से अधिक हमारा विचार, इच्छा, भय, गलतियाँ, और गहरी ज़रूरतें जानता है l क्योंकि वह हमारी गहरी ज़रूरतें जानता है, उसने अपना जीवन देकर हमें हमारा जीवन दिया है-हमारा अनंत जीवन l जैसे पद.11 में वह कहता है, वह “भेड़ों के लिए अपना प्राण देता है l”
आप जानते हैं पाप ने हमें परमेश्वर से अलग किया l इसलिए यीशु, अच्छा चरवाहा, मेमना बनकर अपना बलिदान देकर हमारे पाप अपने ऊपर ले लिए l वह हमारे लिए मृत्यु सहकर पुनरुत्थित हुआ, और हमें छुटकारा दिया l परिणामस्वरूप, हम उसके उद्धार के दान को विश्वास से स्वीकार कर अब परमेश्वर से अलग नहीं रहते l
यीशु को धन्यवाद! वह आपका नाम और ज़रूरत जानता है!