पड़ोस का फ़िटनेस केंद्र जहाँ मैंने वर्षों तक काम किया पिछले महीने बंद हो गया,और मुझे एक नए जिम से जुड़ना पड़ा l पिछला स्थान स्नेही, मित्रवत, काम करते वक्त सामाजिक बनने वालों के द्वारा सहायतार्थ था l हम हमेशा मेहनत करते थे l नया जिम गंभीर स्त्री-पुरुषों से भरा कट्टर प्रतिष्ठापन था, जो बेहतर डील-डौल बनाने में ईमानदार थे l मैं इन लोगों को अधिक मेहनत और श्रम करते हुए देखता हूँ l उनके शरीर मज़बूत दिखाई देते हैं, किन्तु मैं सोचता हूँ कि क्या उनके हृदय/मन अनुग्रह से दृढ़ हैं l
हृदय एक मांसपेशी है-वह मांसपेशी जो अन्य मांसपेशियों को चलाता है l अपने अन्य मांसपेशियों को विकसित और स्वस्थ्य करना अच्छा है, किन्तु हृदय को चलायमान रखनेवाला काम सबसे महत्वपूर्ण है l
ऐसा ही आत्मिक हृदय के साथ भी है l हम सत्य वचन द्वारा परमेश्वर की भलाई और अनुग्रह का सन्देश पाकर अपने हृदय को मज़बूत और स्वस्थ्य रख सकते हैं l हमारी प्राथमिकता अपने आत्मिक हृदय को मज़बूत और स्वस्थ्य रखना है, जो सबसे महत्वपूर्ण है l
पौलुस सहमत होगा : “भक्ति की साधना कर l क्योंकि देह की साधना से कम लाभ होता है, पर भक्ति सब बातों के लिए लाभदायक है, क्योंकि इस समय के और आनेवाले जीवन की भी प्रतिज्ञा इसी के लिए है” (1 तीमु. 4:7-8) l