भय मेरे मन में चुपचाप घुसकर बेबसी और आशाहीनता लाकर मेरी शांति और एकाग्रता छीन लेता है l मैं क्यों भयभीत हूँ! मैं अपने पारिवारिक सुरक्षा और प्रियों के स्वास्थ्य हेतु चिंतित हूँ l मैं नौकरी जाने पर अथवा एक टूटे सम्बन्ध पर घबराती हूँ l भय मेरी एकाग्रता पलटकर मुझे शंकित हृदय देता है l
भय और चिंताओं के आक्रमण पर, भजन 34 में दाऊद की प्रार्थना पढ़ना कितना अच्छा है : “मैं यहोवा के पास गया, तब उसने मेरी सुन ली, और मुझे पूरी रीति से निर्भय किया” (पद. 4) l और उसकी ओर “दृष्टि” करने से परमेश्वर हमारे भय से हमें आज़ाद करता है? (पद.5), उसकी ओर केन्द्रित होने से, हमारे भय मिट जाते है, हम उसके नियंत्रण पर भरोसा करते हैं l तब दाऊद एक शक्तिहीन करनेवाला नहीं, किन्तु उसके प्रति एक गहरा आदर और भय देता है जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है और हमें छुड़ाता है (पद.7) l हम उसमें शरण ले सकते हैं (पद.8) l
उसकी भलाई का यह भय हमारे भय को परिप्रेक्ष्य में लाता है l हम परमेश्वर के व्यक्तित्व और हमारे प्रति उसके प्रगाढ़ प्रेम को स्मरण करके उसकी शांति में विश्राम कर सकते हैं l “उसके डरवैयों को किसी बात की घटी नहीं होती” (पद.9), दाऊद कहता है l जानना कितना अद्भुत है कि प्रभु के भय में हमारे भय लुप्त हो जाते हैं l