आपके जीवन के अच्छे दिन पीछे हैं या आपके आगे? जीवन के विषय हमारा नज़रिया-और उस प्रश्न का हमारा उत्तर-समय के साथ बदल सकता है l बचपन में हम आगे देखकर उम्र में बढ़ना चाहते थे l और बढ़ने के बात हम अतीत की ओर देखते हैं, बच्चा बनना चाहते हैं l किन्तु परमेश्वर के संग चलने पर, उम्र हमारी जो भी हो, सर्वोत्तम का आगमन बाकी है l

अपने लम्बे जीवन में मूसा ने युवावस्था में अधिकतर परमेश्वर की अद्भुत बातें नहीं देखीं l 80 साल की उम्र में उसने फिरौन का सामना किया और परमेश्वर को आश्चर्जनक रूप से अपने लोगों को दासत्व से छुड़ाते देखा (निर. 3-13) l मूसा ने लाल समुद्र को विभाजित होते देखा, स्वर्ग से मन्ना गिरते देखा, और परमेश्वर से “आमने-सामने” बातें भी की (14:21; 16:4; 33:11) l

मूसा अपना सम्पूर्ण जीवन आशापूर्वक जीवन जीया,आगे दृष्टि किये हुए कि परमेश्वर क्या करेगा (इब्रा.11:24-27) l इस पृथ्वी पर उसका जीवन 120 वर्ष का था, और उस समय भी उसकी सोच थी कि परमेश्वर के साथ उसका जीवन आरंभ हो रहा था और वह परमेश्वर की महानता और प्रेम को देखता ही रहेगा l

हमारी उम्र के बावजूद, “अनादी परमेश्वर तेरा गृहधाम है, और नीचे सनातन भुजाएँ हैं” (व्यव. 33:27) जो प्रतिदिन हमें उसके आनंद में लिए चलता है l