जूप ज़ोटेमेल्क को नेदरलैंड का सबसे सफल साइकिल चलानेवाला माना जाता है l कारण कि उसने कभी हार नहीं मानी l उसने फ्रान्स का 16 बार दौरा पूरा किया -1980 में प्रतियोगिता जीतने से पूर्व 5 बार द्वितीय स्थान पर रहा l यह धीरज है!
अनेक विजेताओं ने “कभी हार न माने” की विशेष सीढ़ी चढ़कर सफलता प्राप्त की है l जबकि, कुछ जल्दी हार मानकर सफलता प्राप्त नहीं कर पाए l यह जीवन के पारिवारिक, शिक्षा, मित्र, कार्य, सेवा के क्षेत्र में हो सकता है l धीरज विजय की कुंजी है l
प्रेरित पौलुस सताव और दुःख के बावजूद धीरज धारा (2 तीमु.3:10-11) l उसने पहचानते हुए कि मसीह के अनुयायी दुःख सहेंगे, वास्तविकता से जीवन को देखा (पद.12-13), किन्तु तीमुथियुस को परमेश्वर में अपना विश्वास रखने और वचन से उत्साह प्राप्त करने का निर्देश दिया (पद.14-15) l ऐसा करके वह निराशा का सामना कर पाएगा और आशा से धीरज धर सकेगा l अपने जीवन के अंत में, पौलुस ने कहा, “मैं अच्छी कुश्ती लड़ चुका हूँ, मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है”(4:7) l
हम भी अपनी नियत दौड़ दौड़ने हेतु वचन को हमें सामर्थी बनाने की अनुमति दे सकते हैं l क्योंकि हमारा परमेश्वर प्रतिज्ञा देनेवाला और प्रतिज्ञा पूरी करनेवाला परमेश्वर है और विश्वासयोग्यता से दौड़ समाप्त करनेवालों को पुरुस्कृत करता है (पद.8) l