मैं अपनी खिड़की से सेरो डेल बोरेगो अथवा “भेड़ का पर्वत” नामक 1,700 मीटर ऊँचा पर्वत देख सकता हूँ l 1862 में, फ्रांसीसी सेना मेक्सिको पर आक्रमण की l जबकि शत्रु ने ओरिज़बा के केन्द्रीय पार्क में डेरा डाला, मेक्सिको की सेना ने पहाड़ पर मोर्चा संभाला l हालाँकि, मेक्सिको का सेनापति ऊपर जाने के मार्ग को सुरक्षित नहीं करने के भूल की l मेक्सिको की सेना के सोते समय, फ़्रांसिसी सेना आक्रमण करके उनके 2,000 लोगों को घात किया l
यह पर्वत मुझे जैतून के पर्वत की याद दिलाता है, जिसकी तली के बगीचे में शिष्य सो गए l यीशु ने उनको ताड़ित किया, “जागते और प्रार्थना करते रहो कि तुम परीक्षा में न पड़ो l आत्मा तो तैयार है, पर शरीर दुर्बल है” (मरकुस 14:38) l
अपने मसीही चाल में सो जाना अथवा असावधान हो जाना कितना सरल है l अति असुरक्षा के समय परीक्षा आती है l जब हम अपने आत्मिक जीवन के ख़ास हिस्सों के प्रति असावधान होते हैं-जैसे प्रार्थना और बाइबिल अध्ययन-हम निंदासा होकर अपनी सुरक्षा भूलकर शत्रु, शैतान के आक्रमण का आसान लक्ष्य बन जाते हैं l
हमें आक्रमण की संभावनाओं के प्रति सतर्क होकर सावधानी बरतनी होगी l स्वयं और दूसरों के लिए जागते और प्रार्थना करने पर-आत्मा हमें परीक्षा पर जयवंत होने में सक्षम बनाएगा l