वृद्ध होने की एक कठिनाई मनोभ्रंश(Dementia) और अल्पावधि याददाश्त खोने का भय है l किन्तु मानसिक रोग Alzheimer विषय पर विशेषज्ञ डॉ. बेंजामिन मास्ट कुछ प्रोत्साहन देते हैं l उनके अनुसार रोगियों के मस्तिष्क अक्सर “इतने अभ्यस्त” और “आदि” होते हैं कि वे एक पुराना गीत सुनकर प्रत्येक शब्द के साथ गा सकते हैं l उनकी सलाह है कि वचन पठन, प्रार्थना, और गीत गाने जैसे आत्मिक अनुशासन उनके मस्तिष्क में सच्चाई को जड़वत करता है, और उकसाने पर वे याद आते हैं l

भजन 119:11 में हम पढ़ते हैं कि परमेश्वर का वचन अपने हृदय में छिपाने से हम पाप करने से बच सकते हैं l यह हमें सामर्थी बनाता है, आज्ञाकारिता सिखाता है, और हमारे पावों को दिशा देता है (पद. 28,67,133) l बदले में यह हमें आशा और समझ देता हैं (पद. 49,130) l खुद में अथवा किसी प्रिय के जीवन में याददाश्त जाते देखने के बावजूद, पूर्व में याद किया गया परमेश्वर का वचन वहाँ मौजूद है, हृदय में  “संचित” अथवा “जमा” (पद.11) l जैसे ही हमारा मस्तिष्क युवावस्था की तीक्ष्णता खोने लगता है, हम जानते हैं कि हमारे हृदयों में छिपा परमेश्वर का वचन, हमसे बातचीत करता रहेगा l

कुछ नहीं-हमारी जाती याददाश्त भी नहीं-हमें उसके प्रेम और देखभाल से अलग कर सकती है l इसके विषय उसकी प्रतिज्ञा अटल है l