अच्छी तरह प्रचारित भाषण देते समय, एक सम्मानीय नेता और राजनीतिज्ञ ने यह कहकर अपने राष्ट्र का ध्यान अपनी ओर किया कि उसके देश के सम्मानीय सांसद बिल्कुल असम्मानजनक हैं l भ्रष्टाचार, विभवयुक्त आचरण, घृणित भाषा, और दूसरी बुराईयों से पूर्ण जीवन शैली का हवाला देकर उसने उन सांसदों की निंदा करते हुए उनको सुधरने को कहा l अपेक्षानुसार, उसकी टिप्पणियाँ उनके साथ ठीक नहीं बैठी और उन्होंने उसकी ही शैली में उस पर जवाबी- टिप्पणियाँ की l
हम नेतृत्व के पदों पर शासकीय अधिकारी न हों, किन्तु हम मसीह के अनुयायी “एक चुना हुआ वंश, और राज-पदधारी याजकों का समाज, और पवित्र लोग, और (परमेश्वर की) निज प्रजा” हैं (1 पतरस 2:9) l उसी रूप में, हमारा प्रभु, हमें उसे आदर देनेवाली शैली के लिए बुलाता है l
इसकी पूर्णता हेतु शिष्य पतरस के पास कुछ व्यवहारिक सलाह थी l उसने हमें “सांसारिक अभिलाषओं से जो आत्मा से युद्ध करती हैं, बचे [रहने] को कहा(पद.11) l यद्यपि उसने सम्मानीय शब्द का उपयोग नहीं किया, वह मसीह के योग्य चालचलन की बात कर रहा था l
जैसे पौलुस प्रेरित फिलिप्पियों की पत्री में लिखता है, “जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं-जो भी सद्गुण और प्रशंसा की बातें हैं-उन पर ध्यान लगाया करो” (फ़िलि.4:8) l वास्तव में, ये चारित्रिक गुण प्रभु को आदर देते हैं l