एटलान्टिक सिटी के छोड़े सड़क पर एक बच्चा हमारी ओर दौड़ता हुआ आकर मेरे पति, कार्ल और मुझ पर बुलबुले बरसाए l एक कठिन दिन में यह हल्का और आनंददायक था l हम हॉस्पिटल में अपने बहनोई से मिलने और कार्ल की संघर्षरत बहन को डॉक्टर से भेंट करवाने आए थे l इस तरह हम कुछ समय निकालकर समुद्र तट के निकट चौड़े मार्ग पर घूमने निकले l हम अपने परिवार के ज़रूरतों के कारण थोड़े अभिभूत थे l
उसी समय बुलबुले आए l एक छोटे बच्चे द्वारा समुद्र की हवा में हम पर मनमौजी ढंग से बुलबुले बरसाना – किन्तु इसका मेरे ऊपर एक ख़ास प्रभाव हुआ l मैं बुलबुले पसंद करती हूँ और बुलबुले फोड़कर मुस्कराने के लिए अपने कार्यालय में एक बोतल रखती हूँ l वे बुलबुले और व्यापक एटलान्टिक सागर ने मुझे स्मरण कराया कि मैं परमेश्वर पर कितना भरोसा कर सकती हूँ : परमेश्वर सर्वदा निकट है l वह सामर्थी है l वह हमेशा चिंता करता है l और वह छोटे अनुभव और लघु क्षणों का उपयोग हमें याद दिलाने के लिए करता हैं कि उसकी उपस्थिति हमारे कठिन क्षणों के बीच अनुग्रह के सागर की तरह है l
शायद एक दिन हमारी परेशानियाँ बुलबुले की तरह होगी-अनंतता के परिप्रेक्ष्य में क्षणिक क्योंकि “देखी हुई वस्तुएं अस्थायी, किन्तु अन्देखी वस्तुएं अनंत होती हैं” (2 कुरिं. 4:18) l