“मसीह की देह” एक रहस्मय वाक्यांश है जो नए नियम में 30 से अधिक बार उपयोग किया गया है l प्रेरित पौलुस विशेषकर कलीसिया का रूप दर्शाने हेतु यह वाक्यांश  चुना l यीशु अपने स्वर्गारोहण बाद अपने मिशन को कमज़ोर और अनाड़ी लोगों को सौंप दिया l वह कलीसिया का सिर होकर, हाथ, पैर, कान, आँख और आवाज़ के काम को अनियमित शिष्यों को-और आपको और मुझको सौंप दिया l

अनेक भागों वाली एक बड़ी देह का अदृश्य सिर होकर काम करने का यीशु का निर्णय अर्थात् वह अक्सर हम पर दुःख में परस्पर मदद करने हेतु निर्भर है l पौलुस के मन में इन बातों को लिखते समय भी कुछ ऐसी ही बातें होंगी : “[परमेश्वर] हमारे सब क्लेश में शांति देता है; ताकि हम उस शांति के कारण जो परमेश्वर हमें देता हैं, उन्हें भी शांति दे सकें जो किसी प्रकार के क्लेश में हों l क्योंकि जैसे मसीह के दुखों में हम अधिक सहभागी होते हैं, वैसे ही हम शांति में भी मसीह के द्वारा अधिक सहभागी होते हैं” (2 कुरिन्थियों 1:4-5) l और अपनी सम्पूर्ण सेवा में पौलुस इस सिद्धांत को व्यवहारिक बनाया, आकाल ग्रस्त लोगों के लिए दान इकट्ठा करना, कठिन क्षेत्रों में सहयोगी भेजना, विश्वासियों के दान को परमेश्वर का दान मानना l

वाक्यांश “मसीह की देह” हमारी बुलाहट स्पष्ट करता है : विशेषकर देह में ज़रुरतमंदों के समक्ष दर्शाना मसीह कैसा है l