हाल ही के एक उड़ान में विमान का अवतरण थोड़ा कठिन था, सम्पूर्ण हवाई पट्टी पर झटका देनेवाला l कुछ यात्री घबराए हुए दिखे, किन्तु तनाव ख़त्म हुआ जब पीछे बैठीं दो छोटी लड़कियाँ उल्लासित हुईं, “हाँ! फिर हो जाए!”

बच्चे नए रोमांच के लिए खुले होते हैं और जीवन को आँखें फाड़कर सरल अचरज से देखते हैं l शायद यीशु यही कहना चाहता था जब उसने कहा कि हमें “परमेश्वर के राज्य को बालक के सामान ग्रहण” करना होगा (मरकुस 10:15) l

जीवन के पास अपनी चुनौतियां और दुःख है l कुछ ही लोग इसे यिर्मयाह से बेहतर जानते थे, जिसे “विलाप करनेवाला नबी” कहा गया l किन्तु यिर्मयाह की परेशानी में, परमेश्वर ने उसे एक आश्चर्यजनक सच्चाई से उत्साहित किया : “यह यहोवा की महाकरुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है l प्रति भोर वह नयी होती रहती है; तेरी सच्चाई महान है” (विला. 3:22-23) l

परमेश्वर की नयी करुणा किसी भी क्षण हमारे जीवनों में आ सकती हैं l वे वहाँ मौजूद हैं, और हम उसका अनुभव बच्चों की अपेक्षाओं के साथ जीकर करते हैं –उन बातों को ठहरकर देखना जो केवल वही कर सकता है l यिर्मयाह जानता था कि परमेश्वर की भलाई हमारे तात्कालिक स्थितियों द्वारा परिभाषित नहीं हो सकती और उसकी विश्वासयोग्यता जीवन के कठिन अवस्थाओं से कहीं महान है l आज परमेश्वर की नयी करुणा  खोजें l