बाइबिल में गिनती 33 ऐसा अध्याय है जिसपर हम चिंतन किये बगैर शायद आगे बढ़ जाना चाहेंगे l यह मिस्र में रामसेस से मोआब के मैदान तक इस्राएलियों के पहुँचने तक की यात्रा के दौरान स्थानों की एक लम्बी सूची है l यह विशेष है क्योंकि यह गिनती में एकमात्र स्थल है जिसके पहले ये शब्द लिखे हैं : “मूसा ने यहोवा से आज्ञा पाकर …लिख दिए” (पद.2) l

इसका अभिलेख क्यों रखा जाए? क्या इसलिए कि निर्जन प्रदेश से निकलने वाले इस्राएली अपनी चालीस वर्षों की यात्रा को याद करके प्रत्येक पड़ाव पर परमेश्वर की विश्वासयोग्यता को स्मरण कर सकते थे ?

मैं एक इस्राएली पिता को अलाव के निकट बैठकर, अपने पुत्र को संस्मरण सुनाते हुए कल्पना कर सकता हूँ : “मैं रपीदीम को भूल नहीं सकता! मैं अत्यधिक प्यासा था, किन्तु सैकड़ों मिल तक केवल रेत और झाड़ियाँ l तब परमेश्वर ने मूसा से अपनी लाठी से चट्टान पर मारने को कहा-कठोर चमकदार पत्थर l मैंने सोचा, कैसा व्यर्थ कार्य; उस चट्टान से उसे कुछ नहीं मिलेगा l  किन्तु चट्टान से पानी निकलकर मुझे आश्चर्चाकित किया! एक उदार प्रवाह जिससे हज़ारों इस्राएली अपनी प्यास बुझा सके l मैं वह दिन भूल नहीं सकता!” (देखें भजन 114:8; गिनती 20:8-13; 33:14) l

तो क्यों नहीं एक प्रयास करें? अपने जीवन पर विचार करें-अवस्था दर अवस्था-और परमेश्वर के विश्वासयोग्य, वाचा के प्रेम को स्मरण करें जो उसने दर्शाए हैं l