मेरा पुत्र एक से दस तक गिनना सीख रहा है l वह खिलौनों से लेकर पेड़ों तक सब वस्तुएँ गिनता है l वह स्कूल के मार्ग में वन फूल या मेरे पैर की ऊँगलियाँ गिनता है जिन पर मेरा ध्यान नहीं जाता l
मेरा पुत्र मुझे पुनः गिनना सीखा रहा है l अक्सर मैं उन अधूरी बातों में व्यस्त हो जाती हूँ या जो मेरे पास नहीं हैं जिससे मैं अपने चारों ओर की अच्छी बातें नहीं देख पाती हूँ l मैं इस वर्ष के नए मित्रों को, उत्तरित प्रार्थनाएँ, खुशी के आंसू, और अच्छे मित्रों के संग हंसी के पलों को गिनना भूल गई l
मैं परमेश्वर के दैनिक आशीषों को अपने ऊंगलियों पर गिन नहीं पाऊँगी l “हे मेरे परमेश्वर यहोवा … जो आश्चर्यकर्म और कल्पनाएँ तू हमारे लिए करता है वह बहुत सी हैं ; तेरे तुल्य कोई नहीं! मैं तो चाहता हूँ कि खोलकर उनकी चर्चा करूँ, परन्तु उनकी गिनती नहीं हो सकती” (भजन 40:5) l हम किस तरह उद्धार, मेल, और अनंत जीवन की आशीषें भी गिन पाएंगे?
दाऊद के साथ हमारे विषय बहुमूल्य विचारों और आशीषों के लिए उसी के शब्दों में परमेश्वर की प्रशंसा करें, “मेरे लिए तो हे परमेश्वर, तेरे विचार क्या ही बहुमूल्य हैं! उनकी संख्या का जोड़ कैसा बड़ा है! यदि मैं उनको गिनता तो वे बालू के किनकों से भी अधिक ठहरते” (139:17-18) l
आईये फिर से गिनना सीखें!