मैंने जलमग्न महसूस किया, आवाज़ जुखाम और एलर्जी से रूकती और दबती हुई l मैं कई सप्ताह तक स्पष्ट नहीं सुन सकी, जिससे मेरी सुनने की सच्चाई खुल गई l
मंदिर में युवा शमूएल अपना नाम सुनकर, चौंककर नींद से जागना चाह रहा था (1 शमूएल 3:4) l वह महायाजक, एली के पास तीन बार गया l केवल तीसरी बार एली जान पाया कि परमेश्वर शमूएल से बोल रहा है l उन दिनों में प्रभु का वचन दुर्लभ था (पद.1), और लोग उसकी आवाज़ नहीं सुन पाते थे l किन्तु एली ने शमूएल को उत्तर देना सिखाया (पद.9) l
आज प्रभु उन दिनों से अधिक बातें करता है l इब्रानियों की पत्री कहती है, “पूर्व युग में परमेश्वर ने बापदादों से … भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा बातें कर, इन अंतिम दिनों में हम से पुत्र के द्वारा बातें कीं” (1:1-2) l और प्रेरितों 2 में हम पेंतेकुस्त के समय पवित्र आत्मा का आगमन पढ़ते हैं (पद.1-4), जो हमें मसीह की बातें समझाता है (यूहन्ना 16:13) l किन्तु हमें उसकी आवाज़ सुनकर आज्ञाकारिता में उत्तर देना सीखना होगा l मेरे जुखाम में मेरी तरह, हम जलमग्न महसूस करेंगे l हमें प्रभु के मार्गदर्शन को बाइबिल के साथ और दूसरे परिपक्व मसीहियों के साथ जांचना होगा l प्रभु के प्रिय बालकों की तरह, हम ज़रूर उसकी आवाज़ सुनते हैं l वह हमसे जीवन की बातें करना चाहता है l