मेरी हैगार्ड का एक पुराना गीत, “इफ़ वी मेक इट थ्रू दिसम्बर,” एक व्यक्ति की कहानी है जिसकी नौकरी छुटने के बाद अपनी छोटी बेटी के लिए क्रिसमस उपहार खरीदने में असमर्थ है l यद्यपि दिसम्बर एक आनंदित समय होना चाहिए, उसका जीवन अँधेरा और ठंडा था l
निराशा दिसम्बर के लिए अनूठी नहीं है, किन्तु उस समय बढ़ सकती है l हमारी अपेक्षाएं बड़ी और हमारी उदासी अधिक l थोड़ा प्रोत्साहन अति सहायक होता है l
साइप्रस का, यूसुफ, यीशु का आरंभिक अनुयायी था l प्रेरित उसे बरनबास पुकारते थे, अर्थात् “शांति का पुत्र l” हम उससे प्रेरितों 4:36-37 में मिलते हैं जहाँ उसने आवश्यकतामंद विश्वासियों की सहायता हेतु भूमि बेचकर रुपये दान कर दिए l
बाद में, हम पढ़ते हैं कि शिष्य शाऊल से भयभीत थे (प्रेरितों 9:26) l “किन्तु बरनबास उसे अपने साथ प्रेरितों के पास ले [गया]” (पद.27) l बरनबास ने विश्वासियों को घात करने का प्रयास करनेवाला, शाऊल, जो बाद में पौलुस कहलाया, का बचाव मसीह द्वारा रूपांतरित व्यक्ति के रूप में किया l
हमारे चारों ओर के लोगों को प्रोत्साहन चाहिए l एक सामयिक वचन, एक फोन कॉल, अथवा एक प्रार्थना यीशु में उनके विश्वास को सहारा दे सकता है l
बरनबास की उदारता और सहारा प्रदर्शित करता है कि शांति का पुत्र या पुत्री होना क्या है l इस क्रिसमस शायद हम यही महानतम उपहार दूसरों को दे सकते हैं l
शायद प्रोत्साहन ही वह महानतम उपहार है जो हम इस क्रिसमस दे सकते हैं l