Month: जनवरी 2017

बोलनेवाला वृक्ष

अंग्रेजी साहित्य में एक सबसे प्राचीन कविता है “द ड्रीम ऑफ़ द रूड l” अंग्रेजी शब्द रूड [rood] पुराने नियम के अंग्रेजी शब्द रॉड[rod]  या खम्बा[pole] से आता है जिसका सन्दर्भ क्रूस से है जिस पर मसीह क्रूसित हुआ l इस प्राचीन कविता में क्रुसीकरण की कहानी क्रूस के परिप्रेक्ष्य से बतायी गयी है l जब वृक्ष को ज्ञात होता है कि उसका उपयोग परमेश्वर पुत्र की मृत्यु के लिए होगा, वह इस तरह के उपयोग का इन्कार करता है l किन्तु मसीह हर एक विश्वाश करनेवाले को छुटकारा देने में वृक्ष की सहायता स्वीकार करता है l

अदन के बगीचे में, एक वृक्ष प्रतिबंधित फल का श्रोत था जिसे हमारे आत्मिक माता-पिता ने चखा, जिससे पाप मानव जाति में प्रवेश किया l और जब परमेश्वर पुत्र ने समस्त मानवता के पाप के लिए अपना लहू बहाकर परम बलिदान दिया, उसे हमारे बदले एक पेड़ पर ठोंका गया l मसीह “आप ही हमारे पापों को अपनी देह पर लिए हुए क्रूस पर चढ़ गया” (1 पतरस 2:24) l

उद्धार के वास्ते मसीह पर भरोसा करनेवाले हर एक के लिए क्रूस ही परिवर्तन बिंदु है l यह एक महत्वपूर्ण चिन्ह है जो पाप और मृत्यु से हमारे छुटकारे के लिए परमेश्वर पुत्र की बलिदानी मृत्यु को दर्शाता है l क्रूस हमारे लिए परमेश्वर के प्रेम का अदभुत अकथनीय प्रमाण है l

पुनर्निर्माण

अनेक वर्षों के बाद, एडवर्ड ली बर्लिन लौटकर, याद किया कि जिसे वह याद और प्रेम करता था, जो अब नहीं था l उसके साथ, वह शहर भी पूर्णरूपेण बदल गया था l हेमिसफीयर्स  पत्रिका में उसने लिखा, “एक शहर जिसे आप प्यार करते थे  संयोग का प्रस्ताव लगता है . . . जिसे छोड़ देना चाहिए l” अपने अतीत के स्थान पर जाना दुःख और हानि के भाव उत्पन्न करता है l हम उस समय की तरह वही व्यक्ति नहीं हैं, न ही वह स्थान हमारे जीवन में पहले जैसा  महत्वपूर्ण है l

नहेम्याह इस्राएल देश से अनेक वर्षों तक निर्वासन में था जब उसने अपने लोगों की दयनीय दशा और यरूशलेम शहर के विनाश के विषय सुना l उसने फारस के राजा, अर्तक्षत्र से दीवारों के पुनःनिर्माण के लिए अनुमति मांगी l एक रात स्थिति की टोह लेने के बाद (नहे. 2:13-15), नहेम्याह ने शहरवासियों से कहा, “हम कैसी दुर्दशा में हैं, कि यरूशलेम उजाड़ पड़ा है और उसके फाटक जले हुए हैं l आओ, हम यरूशलेम की शहरपनाह बनाएं, कि भविष्य में हमारी नामधराई न रहे” (पद.17) l

नहेम्याह यादें तरोताज़ा करने नहीं किन्तु पुनःनिर्माण करने लौटा l यह हमारे अतीत के ध्वस्त भागों को ठीक करने की सशक्त ताकीद है l यह मसीह में हमारा विश्वास और उसकी सामर्थ्य ही है जो हमें आगे देखकर, बढ़ने और पुनःनिर्माण करने की ताकत देता है l

अनंत उद्धारकर्ता

जेरलिन टैली की मृत्यु 2015 में विश्व के सबसे उम्रदराज़ व्यक्ति-116 वर्ष की उम्र में हुई  l 1995 में, यरूशलेम शहर अपना 3,000 वां वर्षगाँठ मनाया l एक व्यक्ति के लिए एक सौ सोलह वर्ष, और एक शहर के लिए 3,000 बहुत है, किन्तु कैलिफोर्निया की श्वेत पहाड़ियों के देवदार वृक्षों की उम्र 4,800 वर्ष से भी अधिक होती है यानी कुलपति अब्राहम से भी 800 वर्ष बड़े!

यहूदी नेतृत्व द्वारा यीशु के व्यक्तित्व के विषय चुनौती देने पर, यीशु ने भी खुद को अब्राहम से पहले बताया l यीशु ने कहा, “पहले इसके कि अब्राहम उत्पन्न हुआ, मैं हूँ” (यूहन्ना 8:58) l उसके दृढ़कथन से उसका सामना करनेवाले चकित होकर उसे पत्थरवाह करना चाहा l उनको ज्ञात था कि वह कालानुक्रमिक उम्र की बात नहीं किन्तु परमेश्वर का प्राचीन नाम “मैं हूँ” (निर्ग. 3:14) द्वारा वास्तव में अनंत होने का दावा कर रहा था l वह त्रिएक परमेश्वर का सदस्य होकर, ऐसा दावा कर सकता था l

यूहन्ना 17:3 में, यीशु ने कहा, “ और अनंत जीवन यह है कि वे तुझे एकमात्र सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को, ... जानें l अनंत ने समय में प्रवेश किया ताकि हम सर्वदा जीवित रहें l वह हमारे बदले मृत्यु सहकर, पुनरुथित होकर अपना उद्देश्य पूरा किया l उसके बलिदान के कारण, हम अनंत भविष्य की राह देखते हैं, जहाँ हम उसके साथ अनंत बिताएंगे l वह अनंत है l

सर्वदा प्रेम किया गया, सर्वदा महत्वपूर्ण

हम ऐसे परमेश्वर की सेवा करते हैं जो हमसे हमारे कार्य से अधिक प्रेम करता है l

हाँ, यह सच है कि परमेश्वर चाहता है कि हम अपने परिवार की सुधि रखें और उसके द्वारा रचित संसार की चिंता करें l और उसकी इच्छा है कि हम अपने चारों ओर निर्बल, भूखे, निर्वस्त्र, प्यासे, और टूटे लोगों की सेवा करें जब कि हम उनके प्रति सचेत रहते हैं जो पवित्र आत्मा की खिंचाव का उत्तर नहीं देते हैं l

और फिर भी हम ऐसे परमेश्वर की सेवा करते हैं जो हमारे कार्य से अधिक हमसे प्रेम करता है l

हम यह कदापि न भूलें क्योंकि ऐसा समय आ सकता है जब स्वास्थ्य या पराजय या अनपेक्षित बर्बादी के कारण “परमेश्वर के लिए कार्य” करने की योग्यता नहीं रहेगी l ऐसे समय में हम स्मरण रखें कि परमेश्वर हमारे कार्य के कारण नहीं किन्तु हमारे व्यक्तित्व के कारण हमसे अर्थात् अपने बच्चों से प्रेम करता है l उद्धार के लिए एक बार मसीह का नाम लेने से, कुछ भी नहीं-“परेशानी या कठिनाई या सताव, या अकाल या नग्नता या खतरा अथवा तलवार-कभी हमें “परमेश्वर के प्रेम से जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी” (रोमियों 8:35,39) l

जब हमारे समस्त कार्य या जो हमारे पास है हमसे ले लिया जाएगा, उस समय उसकी इच्छा है कि हम उसमें विश्राम करें जो हमारी पहचान है l

अदृष्ट नायक

बाइबिल की कहानियाँ हमें रोककर चकित करती हैं l जैसे, मूसा द्वारा प्रतिज्ञात देश में परमेश्वर के लोगों की अगुवाई करते वक्त अमालेकियों के आक्रमण के समय, मूसा को कैसे ज्ञात हुआ कि पहाड़ पर चढ़कर परमेश्वर की लाठी थामनी है? (निर्गमन 17:8-15) l हमें नहीं मालूम, किन्तु हम पाते हैं कि मूसा के हाथ उठाने पर, इस्राएली युद्ध जीतते थे, और नीचे करने पर अमालेकी l मूसा के श्रमित होने पर, उसका भाई हारून और एक अन्य व्यक्ति, हूर, मूसा के हाथों को थामे रहे कि इस्राएली जीत जाएँ l

हमें हूर के विषय अधिक नहीं बताया गया है, किन्तु इस्राएल के इतिहास के इस मुकाम पर उसकी भूमिका महत्वपूर्ण थी l यह हमें ताकीद मिलती है कि अदृश्य नायक विशेष हैं, कि सहयोगी और अगुओं को उत्साहित करनेवाले मुख्य हैं और उपेक्षित भूमिका निभाते हैं l अगुओं का ज़िक्र इतिहास में आएगा या सोशल मीडिया पर उनकी बड़ाई होगी, किन्तु अन्य तरीकों से सेवा करनेवालों की शांत, विश्वासयोग्य साक्षी को प्रभु नज़रंदाज़ नहीं करता l वह मित्रों और परिवार के लिए प्रतिदिन प्रार्थना करनेवालों को देखता है l वह उस स्त्री को देखता है जो रविवार को चर्च में कुर्सियाँ उठाती है l वह प्रोत्साहन के शब्द बोलनेवाले पड़ोसी को देखता है l

परमेश्वर हमारे महत्वहीन कार्य को भी देखता है l और हम किसी भी अदृष्ट मददगार नायक पर ध्यान देकर उसको धन्यवाद दें l

सम्पूर्ण मानव

अंग्रेज लेखक एवालिन वॉ के लिखने से उसकी चारित्रिक गलतियाँ अधिक स्पष्ट हो जाती थीं l वह उपन्यासकार मसीही होकर भी, संघर्ष करता रहा l किसी स्त्री ने पूछा, “श्री वॉ, आपका व्यवहार बदला नहीं, फिर भी खुद को मसीही कहते हैं?” उसने उत्तर दिया, “महोदया, आपके अनुसार मैं बुरा हो सकता हूँ l किन्तु मेरी माने, यह मेरा धर्म ही है, नहीं तो मैं मानव भी नहीं होता l

वॉ आन्तरिक युद्ध लड़ रहा था जो पौलुस कहता है : “इच्छा तो मुझ में है, परन्तु भले काम मुझ से बन नहीं पड़ते” (रोमियों 7:18) l “मैं शारीरिक और पाप के हाथ बिका हुआ हूँ” (पद.14) l “मैं भीतरी मनुष्यत्व से तो परमेश्वर की व्यवस्था से बहुत प्रसन्न रहता हूँ l परन्तु .... मुझे इस मृत्यु की देह से कौन छुड़ाएगा?” (पद.22-24) l और उसके बाद उल्लसित उत्तर : “हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद हो” (पद.25) l

जब हम मसीह में विश्वास करके, अपनी गलतियाँ और उद्धारकर्ता की ज़रूरत महसूस करते हैं, हम तुरंत नयी सृष्टि बन जाते हैं l किन्तु हमारी आत्मिक यात्रा अभी लम्बी है l प्रेरित यूहन्ना अनुसार : “अब हम परमेश्वर की संतान हैं, और अभी तक यह प्रगट नहीं हुआ कि हम क्या कुछ होंगे l ... जब वह प्रगट होगा तो हम उसके समान होंगे, क्योंकि उसको वैसा ही देखेंगे जैसा वह है” (1 यूहन्ना 3:2) l

गर्जन और बिजली

कई वर्ष पूर्व मेरा मित्र और मैं ऊदबिलाव वाले तालाब में लगातार मछली पकड़ रहे थे जब बारिश शुरू हुई l हम निकट के सफ़ेद पीपल के पेड़ के जंगल में छिपने गए किन्तु बारिश होती रही l उन पेड़ों के हिलते पत्ते आवाज़ कर रहे थे l इसलिए हम उस स्थान को छोड़कर गुज़रते ट्रक को पुकारा l ट्रक का दरवाजा खोलते समय, आवाज़ के साथ बिजली उन पेड़ों पर गिरी जिससे उनके पत्ते और छाल निकल गए, और कुछेक डालियाँ सुलगती रहीं l और  तब शांति हो गई l

हम विचलित हुए और डर गए l

हमारे आइडहो घाटी में बिजली चमकती है और गर्जना होता है l बाल-बाल बचने पर भी- मुझे पसंद है l मुझे यह प्राकृतिक शक्ति पसंद है l वोल्टेज! टकराव! आश्चर्य और विस्मय! पृथ्वी और जो कुछ उसमें है थरथराती है और कांपती है l और फिर शांति l

मुझे बिजली और गर्जन पसंद है क्योंकि ये परमेश्वर की आवाज़ के संकेत हैं (अय्यूब 37:4), वचन द्वारा विस्मयकारक, प्रबल आवाज़ में बोलना l “यहोवा की वाणी आग की लपटों को चीरती है ... यहोवा अपने प्रजा को बल देगा; यहोवा अपनी प्रजा को शांति की आशीष देगा” भजन 29:7,11) l वह हमें सहने की, धीरज धरने की, दयालुता की, शांत रहने की, उठकर जाने की, और कुछ हानि नहीं करने की शक्ति देगा l

शांति का परमेश्वर आपके साथ हो l

व्यर्थ नहीं

मेरा परिचित एक वित्तीय सलाहकार इस तरह पैसा निवेश की सच्चाई का वर्णन करता है, “सर्वोत्तम की आशा करें और सबसे अधिक नुक्सान के लिए तैयार रहें l” जीवन में हमारे प्रत्येक निर्णय में परिणाम के विषय अनिश्चितता है l फिर भी हम एक मार्ग का अनुसरण हर परिस्थिति में कर सकते हैं, हम जानते हैं कि हमारी मेहनत व्यर्थ नहीं होगी l

नैतिक भ्रष्टाचार के लिए प्रसिद्ध शहर, कुरिन्थुस में, प्रेरित पौलुस, यीशु के अनुयायियों के संग एक वर्ष बिताया l अपने जाने के बाद, कार्य की निरंतरता में उसने उनको लिखा कि  वे  न निराश हों और न ही मसीह के लिए अपनी साक्षी को व्यर्थ समझें l उसने उनको आश्वस्त किया कि एक दिन आनेवाला है जब प्रभु आएगा और मृत्यु  भी जय द्वारा पराजित होगी (1 कुरिन्थियों 15:52-55) l

यीशु के प्रति ईमानदार रहना, कठिन, निराश करनेवाला, और खतरनाक भी हो सकता है, किन्तु यह व्यर्थ और बेकार नहीं है l प्रभु के संग चलकर उसकी उपस्थिति और सामर्थ्य का साक्षी बनकर, हमारे जीवन व्यर्थ नहीं हैं! हम इससे आश्वस्त हों l

कोई कमी नहीं

बिना सामान के दौरे पर जाने की कल्पना करें l न बुनियादी ज़रूरतें न वस्त्र, न पैसे न क्रेडिट कार्ड l क्या यह बुद्धिहीनता और भयानक नहीं?

किन्तु यीशु ने अपने बारह शिष्यों को बिल्कुल इसी तरह प्रचार और चंगाई के उनके  प्रथम मिशन पर भेजा l उसने उन्हें आज्ञा दी, “मार्ग के लिए लाठी छोड़ और कुछ न लो; न तो रोटी, न झोली, न बटुए में पैसे, परन्तु जूतियाँ पहिनो और दो दो कुरते न पहिनो” (मरकुस 6:8-9) l

फिर भी, बाद में, यीशु अपने जाने के बाद के कार्य हेतु उन्हें तैयार करते समय, उनसे कहा, “... जिसके पास बटुआ हो वह उसे ले और वैसे ही झोली भी, और जिसके पास तलवार न हो वह अपने कपड़े बेचकर एक मोल ले” (लूका 22:36) l

तो, यहाँ पर यह परमेश्वर के प्रावधान पर निर्भरता  है l

यीशु पिछले दौरे का सन्दर्भ देकर अपने शिष्यों से पुछा, “जब मैं ने तुम्हें बटुए, और झोली, और जूते बिना भेजा था, तो क्या तुम को किसी वस्तु की घटी हुए थी?” (पद.35) l  उत्तर मिला, “किसी वस्तु की नहीं” (पद.35) l शिष्यों के पास परमेश्वर की बुलाहट अनुसार सब प्रावधान था l उसने उनको पूर्ण समर्थ किया (मरकुस 6:7) l

क्या हम परमेश्वर पर आवश्यकता पूर्ति हेतु भरोसा करते हैं? क्या हम व्यक्तिगत जिम्मेदारी लेकर योजना बनाते हैं? हम उसके कार्य हेतु उसके प्रावधान पर विश्वास करें l