हॉस्पिटल में मेरे पिता के कमरे में रौकस के ठहाके से आगंतुकों का बोध हुआ : दो वृद्ध चालक, एक पूर्व देशी/पाश्चात्य गायक, एक कारीगर, पड़ोस के फार्म से दो स्त्रियाँ, और मैं l

“ …तब वह उठा और बोतल मेरे सर पर मारा,” कारीगर ने शराब पर झगड़े की अपनी कहानी बताई l  

इस हास्य-स्मृति पर ठहाके लगे l कैंसर पीड़ित श्वास लेने में संघर्षरत पिताजी की हंसी, सबको बता रही थी कि “रैंडी एक प्रचारक है” इसलिए बोलने पर ध्यान दिया जाए l क्षणिक शांतता के बाद, इस खबर से पूरा कमरा फिर ठहाकों से भर गया और कोई अपने को हंसने से रोक न सका l

अचानक, करीब चालीस मिनट बाद, कारीगर गला साफ़ करते हुए मेरे पिता की ओर देखकर गंभीर हो गया l “होवर्ड, मेरे लिए अब शराब की कोई जगह नहीं है, l अब मेरे जीने का कारण भिन्न है l मैं तुम्हें अपने उद्धारकर्ता के विषय बताना चाहता हूँ l”

तब मेरे पिता के आश्चर्यचकित हलके विरोध के बावजूद उन्होंने सुसमाचार सुनाया l  मुझे नहीं मालूम यदि सुसमाचार बताने का और भी मीठा, कोमल तरीका है l

कुछ वर्षों बाद मेरे पिता ने यीशु पर विश्वास किया l

एक सरल जीवन वाले पुराने मित्र की एक सरल कहानी ने, मुझे याद दिलायी कि सरल सीधा-सदा अथवा मुर्खता नहीं है; वह स्पष्ट और आडम्बररहित है l

यीशु की तरह l और उद्धार l