हम ऐसे परमेश्वर की सेवा करते हैं जो हमसे हमारे कार्य से अधिक प्रेम करता है l
हाँ, यह सच है कि परमेश्वर चाहता है कि हम अपने परिवार की सुधि रखें और उसके द्वारा रचित संसार की चिंता करें l और उसकी इच्छा है कि हम अपने चारों ओर निर्बल, भूखे, निर्वस्त्र, प्यासे, और टूटे लोगों की सेवा करें जब कि हम उनके प्रति सचेत रहते हैं जो पवित्र आत्मा की खिंचाव का उत्तर नहीं देते हैं l
और फिर भी हम ऐसे परमेश्वर की सेवा करते हैं जो हमारे कार्य से अधिक हमसे प्रेम करता है l
हम यह कदापि न भूलें क्योंकि ऐसा समय आ सकता है जब स्वास्थ्य या पराजय या अनपेक्षित बर्बादी के कारण “परमेश्वर के लिए कार्य” करने की योग्यता नहीं रहेगी l ऐसे समय में हम स्मरण रखें कि परमेश्वर हमारे कार्य के कारण नहीं किन्तु हमारे व्यक्तित्व के कारण हमसे अर्थात् अपने बच्चों से प्रेम करता है l उद्धार के लिए एक बार मसीह का नाम लेने से, कुछ भी नहीं-“परेशानी या कठिनाई या सताव, या अकाल या नग्नता या खतरा अथवा तलवार-कभी हमें “परमेश्वर के प्रेम से जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी” (रोमियों 8:35,39) l
जब हमारे समस्त कार्य या जो हमारे पास है हमसे ले लिया जाएगा, उस समय उसकी इच्छा है कि हम उसमें विश्राम करें जो हमारी पहचान है l
हमारे अस्तित्व का कारण परमेश्वर के साथ हमारी संगती है l