Month: दिसम्बर 2016

आज वह दिन है

मेरी पूर्वस्कूली नातिन मैगी और उसकी KG क्लास में पढ़नेवाली बहन केटी घर के पीछे कम्बल तम्बू बनाकर खेलने के लिए अनेक कम्बल ले गए l दोनों कुछ समय तक बाहर थे जब माँ ने मैगी को उसे बुलाते सुना l

“माँ, जल्दी आइये!” मैगी चिल्लाई l “मैं यीशु को अपने हृदय में बुलाना चाहती हूँ, और मुझे आपकी सहायता चाहिए l प्रत्यक्ष तौर पर उसने अपने जीवन में यीशु की ज़रूरत महसूस किया, और वह उसमें विश्वास करने को तैयार थी l

मैगी का यीशु पर भरोसा हेतु सहायता माँगना 2 कुरिन्थियों 6 में उद्धार के लिए पौलुस के शब्द याद दिलाते हैं l वह यीशु मसीह की-मृत्यु और पुनरुत्थान के साथ-उसके आने की सत्यता पर चर्चा कर रहा था, एक युग का आरंभ जिसे वह “[परमेश्वर की प्रसन्नता का समय” कहता है l हम ऐसे ही युग में रहते हैं, उद्धार अभी उपलब्ध है l उसने कहा, “देखो, अभी वह प्रसन्नता का समय है; देखो, अभी बह उद्धार का दिन है” (पद.2) l यीशु से क्षमा प्राप्ति हेतु विश्वास नहीं करनेवाले हर एक के लिए ऐसा करने का समय अभी है l यह अत्यावश्यक है l

शायद पवित्र आत्मा ने यीशु में विश्वास करने हेतु आपकी ज़रूरत आपको बता दी है l मैगी की तरह, इसे दूर न करें l यीशु के पास जाएं l आज वह दिन है!

परमेश्वर के साथ एकाकी

चर्च के कमरे में जहाँ मैं मदद कर रही थी एक व्यस्त सुबह थी l करीब एक दर्जन बच्चे चहक और खेल रहे थे l गतिविधियों के कारण कमरा गर्म हो गया और मैंने दरवाजा खोल दी l एक छोटा बच्चा यह सोचकर बाहर निकलना चाहा कि कोई उसे नहीं देख रहा है l मैं चौंकी नहीं, कि वह सीधे अपने पापा की बांहों में गया l

उस बच्चे ने वही किया जो ज़रूरी है जब जीवन व्यस्त और अभिभूत करता है-वह अपने पापा के पास भागा l यीशु भी अपने पिता के साथ प्रार्थना का समय ढूंढ़ता था l कुछ लोग कहेंगे कि उसको कमज़ोर करनेवाली मानवीय ऊर्जा की कमी को वह इसी तरह पूरा करता था l मत्ती रचित सुसमाचार के अनुसार वह एकान्त स्थान में जा रहा था जब भीड़ उसके पीछे थी l उनकी ज़रूरतों को जानकार, यीशु ने आश्चर्यजनक रूप से उनको चंगा किया और भोजन खिलाया l उसके बाद, हालाँकि, वह “प्रार्थना करने को अलग पहाड़ पर चला गया” (पद.23) l

यीशु ने बार-बार लोगों की मदद की, किन्तु खुद को थकित नहीं होने दिया और जल्दबाजी नहीं की l उसने प्रार्थना द्वारा परमेश्वर के साथ अपने सम्बन्ध को मजबूत किया l आपके साथ कैसा है? क्या आप परमेश्वर की सामर्थ्य और पूर्णता प्राप्त करने हेतु उसके साथ समय बिताएंगे?

अंगूठी(Signet ring)

एक नए विदेशी मित्र से मिलने पर मैंने उसकी शानदार अंग्रेजी उच्चारण और उसकी छोटी ऊँगली में अंगूठी देखी l बाद में पता चला कि वह मात्र आभूषण नहीं था; उस पर अंकित परिवार की शिखा पारिवारिक इतिहास बता रही थी l

वह मुद्रिका समान थी-शायद जिस तरह हाग्गै में वर्णित है l इस संछिप्त पुराने नियम की पुस्तक में, नबी हाग्गै परमेश्वर के लोगों से मंदिर के पुनःनिर्माण का आह्वान करता है l वे निर्वासन से अपने देश लौटकर मंदिर का पुनःनिर्माण आरंभ कर चुके थे, किन्तु शत्रु विरोध ने उनकी योजना स्थगित कर दिया था l हाग्गै के सन्देश में यहूदा के अगुआ, ज़रुब्बाबेल को दी गई प्रतिज्ञा भी है, कि एक अंगूठी की तरह वह उसका चुना हुआ और अलग किया हुआ अगुआ है l

प्राचीन काल में, अंगूठी पहचान हेतु उपयोग होती थी l हस्ताक्षर करने की बजाए, लोग अपनी अंगूठी से गरम मोम या मुलायम मिट्टी में निशान लगाते थे l परमेश्वर की संतान होकर, हम भी सुसमाचार फैलाकर, उसके अनुग्रह से पड़ोसी से प्रेम करके, और शोषण को ख़त्म करने में प्रयास करके, संसार पर निशान छोड़ते हैं l

हममें से प्रत्येक का अपना अद्वितीय निशान है  जो हममें परमेश्वर स्वरुप प्रकट करता है और ख़ास वरदान, अनुराग, और बुद्धिमत्ता का मिश्रण दर्शाता है l

हमें परमेश्वर के संसार में अंगूठी की तरह बनने की बुलाहट और अवसर मिला है l

प्रेम में बंद

जून 2015 में, पेरिस ने पोंट डेस आर्ट्स पैदल पुल से पैंतालिस टन ताले हटाए l  जोड़े प्रेम प्रसंग भाव के प्रदर्शन के तौर पर, तालों पर अपने नाम के प्रथमाक्षर उकेरकर पुल के जंगलों में लगाकर चाभी शेन नदी में फेंक देते हैं l

हजारों बार यह विधि दोहराई गई, पुल अधिक “प्रेम” का बोझ सहने को तैयार न था l आख़िरकार शहर अधिकारीयों ने, पुल की ताकत पर शंका करके, “प्रेम तालों” को हटा दिया l

तालों का अर्थ अनंत प्रेम प्रकट करना था, किन्तु मानवीय प्रेम स्थायी नहीं है l परम मित्र परस्पर धोखा देकर कभी मतभेद नहीं सुलझाते हैं l परिजन बहस करते  और क्षमा नहीं करते l पति-पत्नी एक दूसरे से अलग हो जाते हैं और भूल जाते हैं कि उन्होंने विवाह क्यों किया था l मानवीय प्रेम चंचल होता है l

एक प्रेम स्थिर और स्थायी है-परमेश्वर का प्रेम l “यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; और उसकी करुणा सदा की है!” भजन 106:1 की घोषणा है l परमेश्वर के प्रेम का विजयी और अनंत स्वभाव सम्पूर्ण बाइबिल में है l और इसका महानतम प्रमाण उसके पुत्र की मृत्यु है कि उसपर विश्वास करनेवालों को अनंत जीवन मिलेगा l और परमेश्वर के प्रेम से हमें कोई अलग नहीं कर सकता (रोमि. 8:38-39) l

सहविश्वसियों, हम परमेश्वर के प्रेम में हमेशा के लिए बंद  हैं l

साधारण शब्दों की ताकत

हॉस्पिटल में मेरे पिता के कमरे में रौकस के ठहाके से आगंतुकों का बोध हुआ : दो वृद्ध चालक, एक पूर्व देशी/पाश्चात्य गायक, एक कारीगर, पड़ोस के फार्म से दो स्त्रियाँ, और मैं l

“ ...तब वह उठा और बोतल मेरे सर पर मारा,” कारीगर ने शराब पर झगड़े की अपनी कहानी बताई l  

इस हास्य-स्मृति पर ठहाके लगे l कैंसर पीड़ित श्वास लेने में संघर्षरत पिताजी की हंसी, सबको बता रही थी कि “रैंडी एक प्रचारक है” इसलिए बोलने पर ध्यान दिया जाए l क्षणिक शांतता के बाद, इस खबर से पूरा कमरा फिर ठहाकों से भर गया और कोई अपने को हंसने से रोक न सका l

अचानक, करीब चालीस मिनट बाद, कारीगर गला साफ़ करते हुए मेरे पिता की ओर देखकर गंभीर हो गया l “होवर्ड, मेरे लिए अब शराब की कोई जगह नहीं है, l अब मेरे जीने का कारण भिन्न है l मैं तुम्हें अपने उद्धारकर्ता के विषय बताना चाहता हूँ l”

तब मेरे पिता के आश्चर्यचकित हलके विरोध के बावजूद उन्होंने सुसमाचार सुनाया l  मुझे नहीं मालूम यदि सुसमाचार बताने का और भी मीठा, कोमल तरीका है l

कुछ वर्षों बाद मेरे पिता ने यीशु पर विश्वास किया l

एक सरल जीवन वाले पुराने मित्र की एक सरल कहानी ने, मुझे याद दिलायी कि सरल सीधा-सदा अथवा मुर्खता नहीं है; वह स्पष्ट और आडम्बररहित है l

यीशु की तरह l और उद्धार l

समय पर

कभी-कभी मैं मज़ाक करती हूँ कि मैं समय पर  शीर्षक पर एक पुस्तक लिखूंगी l मुझे जाननेवाले हँसते हैं क्योंकि मैं अक्सर विलंबित होती हूँ l मेरा तर्क है कि मेरा विलम्ब आशावाद के कारण है, प्रयास की कमी से नहीं l मैं आशावादी बनकर झूठे विश्वास से लिपटी रहती हूँ कि मैं पहले से अधिक “इस बार” कम समय में अधिक करुँगी l किन्तु मैं कर नहीं सकती, और करती नहीं, इसलिए विलम्ब होने के कारण पुनः क्षमा मांगनी पड़ती है l

इसके विपरीत, परमेश्वर हमेशा समय से कार्य करता है l हमारी सोच में वह विलंबित दिख सकता है, किन्तु ऐसा है नहीं l सम्पूर्ण बाइबिल में हम लोगों को परमेश्वर के समय के साथ अधीर होते देखते हैं l इस्राएलियों ने अपेक्षित उद्धारकर्ता के लिए बहुत इंतज़ार किया l कुछ ने आशा छोड़ दी l किन्तु शमौन और हन्ना मंदिर में प्रार्थना और इंतज़ार करते रहे (लूका 2:25-26, 37) l और उनका विश्वास पुरस्कृत हुआ l उन्होंने बालक यीशु को देखा जब मरियम और यूसुफ उसको समर्पण के लिए लेकर आए (पद. 27-32, 38) l

परमेश्वर द्वारा हमारे समयानुसार प्रत्युत्तर नहीं देने पर निराशा में, क्रिसमस ताकीद देता है कि “जब समय पूरा हुआ, तो परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा ... ताकि ... हम को लेपालक होने का पद मिले” (गला. 4:4-5) l परमेश्वर का समय सम्पूर्ण है , और इंतज़ार करना सार्थक l

सबके लिए आनंद

सिंगापुर में एक मसीही प्रकाशन सम्मेलन के आखिरी दिन, 50 देशों के 280 भागिदार एक समूह तस्वीर के लिए होटल के बाहिरी मैदान में इकट्ठे हुए l दूसरी मंजिल के बालकनी से, फोटोग्राफर ने अलग-अलग कोण से अनेक तस्वीर खींचे इससे पूर्व कि वह कहता, “फोटो खिंच गयीं l”  भीड़ में से चैन की एक आवाज़ आयी, “अच्छा, खुश हों!” तुरंत, जवाब आया, “खुदावन्द आया है l” जल्द ही सभी क्रिसमस का परिचित गीत तारतम्य से गा रहे थे l मैं एकता और आनंद के इस मार्मिक प्रदर्शन को नहीं भूल सकता l

लूका के क्रिसमस की कहानी के वर्णन में, एक स्वर्गदूत ने चरवाहों को यीशु के जन्म की सूचना दी, “मत डरो; क्योंकि देखो, मैं तुम्हें बड़े आनंद का सुसमाचार सुनाता हूँ जो सब लोगों के लिए होगा, कि आज दाऊद के नगर में तुम्हारे लिए एक उद्धारकर्ता जन्मा है, और यही मसीह प्रभु है” (लूका 2:10-11) l

आनंद कुछ लोगों के लिए नहीं किन्तु सब के लिए था l “क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नष्ट न हो, परन्तु अनंत जीवन पाए” (यूहन्ना 3:16) l

जब हम यीशु का जीवन-परिवर्तन करने वाला सन्देश दूसरों को बांटते हैं, हम विश्वव्यापी रूप से “उसकी धार्मिकता और उसके प्रेम का आश्चर्य” मिलकर बांटते हैं l

“खुश हो खुदावंद आया है!”

कैद में क्रिसमस

हिटलर का विरोध करने के कारण जर्मनी के एक प्रसिद्ध पासवान, रेव्ह. मार्टिन निमोलर को, नाज़ी नज़रबन्दी-शिविर में लगभग आठ वर्ष बिताने पड़े l उसने डकाऊ में 1944 की एक क्रिसमस संध्या में, अपने सह-कैदियों से आशा के वचन कहे : “मेरे प्रिय मित्रों, हम इस क्रिसमस ... बैतलहम के बालक में, उसको खोजें जो उस बोझ को उठाने आया जिनसे हम दबे हैं ... परमेश्वर ने खुद से हम तक पहुँचने हेतु एक सेतु बनाया है! ऊपर से एक ज्योति हम तक पहुंची है!”

क्रिसमस में हम शुभसंदेश को गले लगाते हैं कि परमेश्वर, मसीह में, हमारे स्थान पर हमारे निकट आया और हमारे बीच की खाई को पाट दिया l वह हमारे अन्धकार के कैदखाने में अपनी ज्योति द्वारा प्रवेश करके हमें दबाने वाले दुःख, दोष, या एकाकीपन को हटाता है l

कैदखाने के उस अंधकारमय क्रिसमस संध्या में, निलोमर ने यह सुसमाचार बांटा : “उस ज्योति से जिससे चरवाहे घिरे थे हमारे अन्धकार में एक चमकीली किरण प्रवेश करेगी l” उसके वचन नबी यशायाह की याद दिलाती है जिसने कहा, “जो लोग अंधियारे में चल रहे थे उन्होंने बड़ा उजियाला देखा; और जो लोग घोर अन्धकार से भरे हुए मृत्यु के देश में रहते थे, उन पर ज्योति चमकी” (यशा. 9:2) l

 चाहे हम जिस स्थिति में हों, यीशु अपने आनंद और अपनी ज्योति से हमारे अंधकारमय संसार में प्रवेश किया है l

मैं उसे क्या दूँ?

एक वर्ष, क्रिसमस चर्च सजावट के लिए जिम्मेदार लोग विषय “क्रिसमस सूचियाँ” उपयोग करने का निश्चय किया l सजाने के लिए सामान्यतया सुनहरे और चमकीले सजावटों का उपयोग करने की बजाए, उन्होंने हर एक को एक लाल अथवा हरा टैग दिया l उसकी एक ओर उन्हें लिखना था वे यीशु से क्या उपहार चाहते थे, और दूसरी ओर वे उसको क्या उपहार देना चाहते हैं जिसका जन्म दिन मना रहे हैं l

यदि आपको यह करना होता, आप कौन सा उपहार मांगते और आप क्या उपहार देते? बाइबिल हमें अनेक सुझाव देती है l परमेश्वर हमारी ज़रूरतें पूरी करता है, इसलिए हम नया काम, वित्तीय ज़रूरतों की पूर्ति, अपने और दूसरों के लिए शारीरिक चंगाई, अथवा एक सम्बन्ध का नवीनीकरण मांग सकते हैं l हम अपने आत्मिक वरदानों के विषय सोच सकते हैं जो हमें परमेश्वर की सेवा के लिए तैयार करता है l इनमें से अनेक रोमियों 12 और 1 कुरिन्थियों 12 में वर्णित हैं l या हम पवित्र आत्मा के फल की अधिकता प्रकट करना चाहते हैं : अधिक प्रेमी, आनंदित, शांतिमय, धीरजवन्त, दयालु और भला, विश्वासयोग्य, कोमल और आत्म-नियंत्रित (गला.5:22-23) l

परमेश्वर से मिलनेवाला सबसे महत्वपूर्ण वरदान उसका पुत्र, हमारा उद्धारकर्ता है, और उसके साथ क्षमा, नवीनीकरण, और आत्मिक जीवन की प्रतिज्ञा जो अभी आरंभ होकर अनंतता तक रहेगा l और हम सर्वोत्तम महवपूर्ण उपहार अपना हृदय उसे दे सकते हैं l