हिटलर का विरोध करने के कारण जर्मनी के एक प्रसिद्ध पासवान, रेव्ह. मार्टिन निमोलर को, नाज़ी नज़रबन्दी-शिविर में लगभग आठ वर्ष बिताने पड़े l उसने डकाऊ में 1944 की एक क्रिसमस संध्या में, अपने सह-कैदियों से आशा के वचन कहे : “मेरे प्रिय मित्रों, हम इस क्रिसमस … बैतलहम के बालक में, उसको खोजें जो उस बोझ को उठाने आया जिनसे हम दबे हैं … परमेश्वर ने खुद से हम तक पहुँचने हेतु एक सेतु बनाया है! ऊपर से एक ज्योति हम तक पहुंची है!”

क्रिसमस में हम शुभसंदेश को गले लगाते हैं कि परमेश्वर, मसीह में, हमारे स्थान पर हमारे निकट आया और हमारे बीच की खाई को पाट दिया l वह हमारे अन्धकार के कैदखाने में अपनी ज्योति द्वारा प्रवेश करके हमें दबाने वाले दुःख, दोष, या एकाकीपन को हटाता है l

कैदखाने के उस अंधकारमय क्रिसमस संध्या में, निलोमर ने यह सुसमाचार बांटा : “उस ज्योति से जिससे चरवाहे घिरे थे हमारे अन्धकार में एक चमकीली किरण प्रवेश करेगी l” उसके वचन नबी यशायाह की याद दिलाती है जिसने कहा, “जो लोग अंधियारे में चल रहे थे उन्होंने बड़ा उजियाला देखा; और जो लोग घोर अन्धकार से भरे हुए मृत्यु के देश में रहते थे, उन पर ज्योति चमकी” (यशा. 9:2) l

 चाहे हम जिस स्थिति में हों, यीशु अपने आनंद और अपनी ज्योति से हमारे अंधकारमय संसार में प्रवेश किया है l