जब मेरा बेटा अगली कक्षा में गया, वह चिल्लाया, “मुझे अपनी शिक्षिका जीवन भर चाहिए!” हमने उसे समझाया कि शिक्षक का बदलना जीवन का एक हिस्सा है l हम विचार करेंगे : क्या कोई सम्बन्ध जीवन भर रहेगा?
कुलपिता, याकूब, ने एक सम्बन्ध के विषय जाना l अनेक नाटकीय परिवर्तन के अनुभव के बाद और मार्ग में अपनों को खोने के बाद, उसने एक नियमित उपस्थिति को अपने जीवन में महसूस किया l उसने प्रार्थना की, “परमेश्वर …. [जो] मेरे जन्म से लेकर आज के दिन तक मेरा चरवाहा बना है … इन लड़कों को आशीष दे” (उत्पत्ति 48:15-16) l
याकूब चरवाहा था, इसलिए उसने एक चरवाहा और उसकी भेड़ की तरह परमेश्वर के साथ अपनी तुलना की l चरवाहा एक भेड़ के जन्म से लेकर उनके बूढ़े होने तक रात-दिन उनकी देखभाल करता है l वह दिन में उनका मार्गदर्शन और रात में उनकी सुरक्षा करता है l दाऊद भी जो चरवाहा था के पास वही निश्चय था, किन्तु यह कहकर, “मैं यहोवा के धाम में सर्वदा वास करूँगा” (भजन 23:6) उसने अनंत पहलू प्रगट किया l
शिक्षक का बदलना जीवन का एक हिस्सा है l किन्तु यह जानना कितना अच्छा है कि हमारे पास जीवन भर का एक सम्बन्ध है l चरवाहा हमारे सांसारिक जीवन के हर दिन हमारे साथ रहने का वादा किया है (मत्ति28:20) l और जीवन के अंत में, हम हमेशा उसके अति निकट होंगे l
परमेश्वर हमें कभी नहीं त्यागता है l