मैं मेरी को पूर्व कैदियों को समाज में जोड़नेवाला आश्रय-“द हाउस”-में हर मंगलवार को देखती थी l मेरा जीवन उससे भिन्न था : वह जेल से अभी-अभी बाहर आई थी , नशे की लत से जूझ रही थी, अपने पुत्र से अलग थी l आप कह सकते हैं कि वह समाज के बाहर रहती थी l
मेरी की तरह, उनेसिमुस भी था l एक दास के रूप में, उनेसिमुस ने अपने मसीही स्वामी, फिलेमोन को हानि पहुँचाकर, अब जेल में था जहां पर, पौलुस से मुलाकात करके उसने मसीह पर विश्वास किया (पद.10) l बदला हुआ व्यक्ति होने के बावजूद, उनेसिमुस अभी भी दास ही था l पौलुस ने पत्र के साथ उसे फिलेमोन के पास भेजा और उससे उनेसिमुस को “दास की तरह नहीं वरन् दास से भी उत्तम, अर्थात् भाई के समान” (फिलेमोन 1:16) ग्रहण करने का अनुरोध किया l
फिलेमोन के पास चुनाव था : वह उनेसिमुस से एक दास की तरह बर्ताव कर सकता था या उसे मसीह में एक भाई की तरह ग्रहण कर सकता था l मुझे भी चुनाव करना था l क्या मैं मेरी को एक पूर्व-बंदी और नशे से उबरने वाली की तरह देखूं अथवा मसीह की सामर्थ्य से बदले हुए जीवन के रूप में? मेरी प्रभु में मेरी बहन थी, हमारे पास विश्वास की यात्रा में संग चलने का मौका था l
हम सामाजिक-आर्थिक दर्जा, वर्ग, अथवा सांस्कृतिक भिन्नता को हमें अलग करने की अनुमति दें, यह सरल है l मसीह का सुसमाचार इन बाधाओं को हटाकर, हमेशा के लिए हमारे जीवन और संबंधों को बदल देता है l
सुसमाचार लोगों और संबंधों को बदलता है l