“जबकि आप मुझे जानते ही नहीं हैं फिर आप इतने दयालु कैसे हो सकते हैं!”

गलत निर्णय लेने के कारण, लिन्डा एक दूसरे देश में जेल में पहुँच गयी l और छः साल के बाद रिहा होने पर वह नहीं जानती थी कि वह कहाँ जाएँ l उसने सोचा कि उसके जीवन का अंत हो गया है! जबकि उसके परिवार ने उसके लिए घर लौटने के टिकट का इंतजाम किया, और एक दयालु पति-पत्नी ने उसे आवास, भोजन और सहायता दी l लिन्डा उनकी दया से ऐसी प्रभावित हुयी कि वह प्रेमी और दूसरा अवसर देनेवाले परमेश्वर का सुसमाचार सुनने को इच्छित हुयी l

लिन्डा मुझे विधवा, नाओमी की याद दिलाती है, जिसने एक अनजान देश में अपना पति और दो बेटे खोने के बाद सोचने लगी कि उसका जीवन समाप्त हो गया है (रूत 1) l हालाँकि, प्रभु नाओमी को नहीं भूला था, और उसकी बहु के प्यार और बोआज़ नाम के एक धर्मी मनुष्य की दया द्वारा, नाओमी ने परमेश्वर के प्रेम को देखा और उसे एक दूसरा अवसर मिला (4:13-17) l

वही परमेश्वर हमारी भी चिंता करता है l दूसरों के प्रेम द्वारा हमें उसकी उपस्थिति याद दिलायी जा सकती है l हम अनजान लोगों की सहायता में परमेश्वर का हाथ देख सकते हैं l किन्तु सबसे ऊपर, परमेश्वर हमें एक नयी शुरुआत देना चाहता है l हमें भी, लिन्डा और नाओमी की तरह, अपने दैनिक जीवन में परमेश्वर का हाथ देखना चाहिए और पहचानना चाहिए कि वह हमें निरंतर अपनी दया दिखाता है l