कॉलेज में ग्रीक और रोमन माइथोलॉजी के अध्ययन से मैं हैरान थी कि कथाओं में कैसे मूडी और तुरंत नाराज़ हो जाने वाले देव थे। उनके क्रोध और कभी-कभी एक सनक पर लोगों के जीवन नष्ट हो जाते थे।
यह सोच कर मुझे हंसी आई कि ऐसे देवताओं पर कोई कैसे विश्वास कर सकता है। तब मैंने अपने आप से पूछा, क्या वास्तविक परमेश्वर के प्रति मेरे विचार भिन्न हैं? जब मैं संदेह करती हूं क्या मैं उन्हें आसानी से क्रोधित हो जाने वाले परमेश्वर के रूप में नहीं देखती? अफसोस है, हाँ।
मैं परमेश्वर से किए मूसा के अनुरोध की सराहना करती हूं कि “मुझे अपना तेज दिखा दे।” (निर्गमन 33:18) उनके विरुद्ध कुडकुडा रहे लोगों की अगुवाई करने के लिए चुने जाने पर, मूसा जानना चाहता था कि इस महान कार्य में क्या परमेश्वर वास्तव में उसकी मदद करेंगे। उत्तर में परमेश्वर ने अपनी महिमा और अपने नाम और विशेषताएं प्रकट कीं। यहोवा, ईश्वर दयालु…। (34:6) वे क्रोध में अचानक घात करने वाले परमेश्वर नहीं हैं। वे मुझे अपने जैसा ही बनाने के लिए लगातार कार्यरत हैं।
परमेश्वर और उनकी महिमा को हमारे प्रति उनके संयम में हम देख सकते हैं, किसी मित्र के प्रोत्साहन भरे शब्द में, सुंदर सूर्यास्त में, या मन में पवित्र आत्मा के धीमे स्वर में।
चाहे हम अक्सर बदल जाते हों, पर परमेश्वर कभी नहीं बदलते।