जब मैं अपने किसी करीबी मित्र के हित को लेकर चिंतित थी, तब पुराने नियम में शमूएल की कहानी से मुझे प्रोत्साहन मिला। मैंने पढ़ा कि जब परमेश्वर के लोग परेशान थे तो शमूएल ने कैसे उनके लिए यहोवा की दोहाई दी थी, मैंने भी अपने मित्र के लिए प्रार्थना करने का संकल्प किया।
इस्राएली लोग पलिश्तियों का सामना कर रहे थे, जो पहले उन्हें हरा चुके थे जब लोगों ने उन पर भरोसा नहीं किया था (1 शमूएल 4)। अपने पापों का पश्चाताप कर लेने के बाद, उन्होंने सुना कि पलिश्ती हमला करने वाले थे। अब उन्होंने शमूएल से उन लोगों के लिए प्रार्थना करते रहने को कहा (7:8), उत्तर में परमेश्वर ने उनके दुश्मन को भ्रम में डाल दिया(10)। यद्यपि पलिश्ती इस्राएलियों की तुलना में अधिक शक्तिशाली थे, परन्तु यहोवा उन सबमें सबसे बलवान थे।
अपने प्यारों को चुनौतियों का सामना करते देख हमें पीड़ा होती है, और डरते हैं कि स्थिति नहीं बदलेगी, या प्रभु कार्य नहीं करेंगे। लेकिन हमें प्रार्थना के सामर्थ को कम नहीं समझना चाहिए, क्योंकि हमारा प्रेमी परमेश्वर हमारी प्रार्थना सुनता है। हमारे पिता के रूप में उनकी इच्छा है कि हम उनका प्रेम अपनाएं और उनकी सच्चाई पर भरोसा करें।
क्या किसी के लिए आप आज प्रार्थना कर सकते हैं?
जब हम प्रार्थना करते हैं तो परमेश्वर हमारी सुनते हैं।