क्यापरमेश्वर जानता था कि मैं रात में गाड़ी चलाकर 100 मील दूर अपने गाँव जा रहा था? मैं जिस स्थिति में था, वह बताना सरल नहीं है l मुझे तेज़ बुखार था और मेरे सर में दर्द l मैंने प्रार्थना की, “प्रभु, मैं जानता हूँ कि आप मेरे साथ हैं, किन्तु मैं पीड़ा में हूँ!”

थका हुआ और कमज़ोर, मैंने अपनी गाड़ी एक छोटे गाँव के निकट सड़क के किनारे खड़ी कर दी l दस मिनट के बाद, मैंने एक आवाज़ सुनी l “हेल्लो, क्या आपको कोई मदद चाहिए?” एक व्यक्ति मित्रों के साथ उस गाँव से आकर बोला l उनकी उपस्थिति अच्छी लगी l मैं उनसे उनके गाँव का नाम ना मी न्याला(अर्थात्, “राजा मेरे विषय जानता है!”), सुनकर चकित हुआ l मैं बगैर रुके इस गाँव से कई बार गुज़रा था l इस बार, प्रभु ने मुझे याद दिलाने के लिए इस गाँव के नाम का उपयोग किया कि, वास्तव में, सड़क पर मेरी पीड़ादायक स्थिति में राजा मेरे साथ था l उत्साहित होकर, मैं निकट के दवाखाना की ओर आगे बढ़ गया l

हमारी परिस्थिति के बावजूद, हमारे दैनिक कामों में जो हम अलग-अलग स्थानों और स्थितियों में करते हैं, परमेश्वर हमें पूरी तरह जानता है (भजन 139:1-4, 7-12) l वह हमें न छोड़ता है न भूलता है; न ही वह इतना व्यस्त है कि हमारा परवाह न करे l परेशानी में या कठिन स्थितियों में अर्थात “रात” और “दिन” (पद 11-12), हम उसकी उपस्थिति से छिपे हुए नहीं हैं l यह सच्चाई हमें इतनी आशा और निश्चयता देती है कि हम प्रभु की प्रसंशा कर सकते हैं जिसने हमें सावधानी से रचा है और सम्पूर्ण जीवन में अगुवाई करता है (पद.14) l