बहुत ही ठंडा दिन था, और मेरा ध्यान अपनी गरम कार से गरम भवन/इमारत में प्रवेश करने पर लगा था l अगले पल मैं धरती पर था, मेरे घुटने अन्दर को मुड़े हुए थे और मेरे पैरों का निचला भाग बाहर की ओर था l कुछ भी टूटा नहीं था, किन्तु मुझे दर्द बहुत था l  समय के साथ दर्द बढ़ना ही था और अनेक सप्ताह के बाद ही मैं स्वस्थ हो पाता l

हममें से कौन है जो कभी नहीं गिरा है? कितना अच्छा होता यदि हम किसी वस्तु या व्यक्ति के सहारे से हमेशा अपने पैरों पर खड़े रह पाते? भौतिक/शारीरिक भाव में कभी न गिरने की कोई गारंटी नहीं होने के बावजूद, एक व्यक्ति है जो इस जीवन में मसीह को आदर देने और स्वर्ग में उसके समक्ष आनंदपूर्वक खड़े होने की हमारी कोशिश में हमें मदद देने के लिए तैयार है l

हर दिन हम परीक्षाओं (और झूठी शिक्षाओं) का सामना करते हैं जो हमें दिशाविहीन करने, भ्रमित करने, और उलझाने का प्रयास करती हैं l मगर अंत में हम अपने प्रयासों के द्वारा इस संसार में चलते हुए अपने पैरों पर खड़े नहीं रहते हैं l यह जानना अत्यधिक आश्वस्त करनेवाली बात है, जब हम क्रोधित आवाज़ में बोलने की जगह शांति बनाए रखते हैं, झूठ के स्थान पर ईमानदारी का प्रयास करते हैं, घृणा के स्थान पर प्रेम, या गलती के स्थान पर सच्चाई का प्रयास करते हैं – हम खड़े रहने के लिए परमेश्वर की सामर्थ्य का अनुभव करते हैं (यहूदा 1:24) l और मसीह के दूसरे आगमन पर जब हम परमेश्वर का अनुमोदन प्राप्त करेंगे, हम जो प्रशंसा वर्तमान में उसके थामनेवाले अनुग्रह के लिए करते हैं वह अनंत तक गूंजेगा (पद.25) l