एलिज़ाबेथ बहुत समय से ड्रग की लत से संघर्ष कर रही थी, और उससे छुटने के बाद अब उसके बदले दूसरों को मदद करना चाहती थी l इसलिए वह नाम रहित छोटे-छोटे पर्चे लिखकर अपने शहर में यहाँ-वहां रखने लगी l एलीजाबेथ इनको कारों की विंडशील्ड वाइपर के नीचे दबा देती है और पार्कों में खम्बों पर लगा देती है l पहले वह खुद आशा के संकेत खोजती थी; अब वह इन संकेतों को दूसरों के लिए छोड़ देती है l उनके एक पर्चे के अंत में यह लिखा था : “अत्यधिक प्रेम l आशा भेजी गयी l”
प्रेम के साथ आशा – यही तो यीशु देता है l वह प्रतिदिन हमारे लिए अपना प्रेम लाता है और अपनी आशा से हमें सामर्थी बनता है l उसका प्रेम सीमित नहीं है किन्तु बहुतायत से उसके हृदय से हमारे हृदयों में उदारतापूर्वक उंडेला जाता है l “हम जानते हैं कि परमेश्वर हमसे कितना प्रेम करता हैं, क्योंकि उसने हमारे हृदयों को अपने प्रेम से परिपूर्ण करने के लिए हमें पवित्र आत्मा दिया है” (रोमियों 5:5) l वह कठिन समयों का उपयोग हममें धीरज और चरित्र विकसित करने और संतुष्ट और आशा से परिपूर्ण जीवन देने के लिए करता है (पद. 3-4) l और जब हम उससे दूर होते हैं, उस समय भी, वह हमसे प्रेम करता है (पद.6-8) l
क्या आप आशा के संकेत ढूंढ़ रहे हैं? प्रभु हमें उसके साथ सम्बन्ध विकसित करने के लिए निमंत्रण देकर प्रेम से आशा देता है l परिपूर्ण जीवन के लिए हमारी आशा उसके अपराजित प्रेम में स्थिर है l
आशा आत्मा का लंगर है l