“हम इस रास्ते जा रहे हैं,” भीड़ में अपनी पत्नी और बेटियों के साथ चलते हुए मैंने अपने बेटे के कंधे पर हाथ रखकर उसे उनके पीछे चलने को कहा l मनोरंजन पार्क में अपने परिवार के साथ घूमते हुए मैंने कई बार ऐसा किया था l मेरा बेटा थक चुका था और आसानी से विचलित हो रहा था l वह क्यों नहीं उनके पीछे चलता है? मैंने सोचा l
तब मुझे याद आया : कितनी बार मैं भी ऐसा ही करता हूँ? कितनी बार अनाज्ञाकारिता के कारण मैं परमेश्वर के विमुख हो जाता हूँ, परीक्षाओं से वशीभूत होकर उसकी इच्छा से दूर भागता हूँ?
इस्राएल के परमेश्वर की ओर से यशायाह के शब्दों पर विचार करें : “जब कभी तुम दाहिनी या बाईं ओर मुड़ने लगो, तब तुम्हारे पीछे से यह वचन तुम्हारे कानों में पड़ेगा, “मार्ग यही है, इसी पर चलो” (30:21) l इस अध्याय के आरम्भ में, परमेश्वर ने अपने लोगों को ढिठाई के लिए ताड़ित किया था l किन्तु यदि वे अपने मार्ग की बजाए उसकी सामर्थ्य पर भरोसा करते (पद.15), वह अनुग्रह और दया दिखाने की प्रतिज्ञा करता है (पद.18) l
परमेश्वर के अनुग्रह का एक प्रगटीकरण पवित्र आत्मा द्वारा हमारा मार्गदर्शन करने की प्रतिज्ञा है l यह तब होता है जब हम उससे अपनी इच्छाओं के विषय बातचीत करते हैं और प्रार्थना में अपने लिए उसकी इच्छा पूछते हैं l मैं धन्यवादित हूँ कि जब हम परमेश्वर पर भरोसा करके उसकी आवाज़ सुनते हैं, वह प्रतिदिन, हर कदम पर हमारा मार्गदर्शन करता है l
जब हम परमेश्वर पर भरोसा करके उसकी आवाज़ सुनते हैं,
वह हमारा मार्गदर्शन करता है l