एक व्यक्ति ने एक महिला पर मुकद्दमा दायर कर दिया, कि महिला के पास उसका कुत्ता था l कोर्ट में महिला ने कहा, उसका कुत्ता उस व्यक्ति का नहीं हो सकता और जज को बताया उसने उसे कहाँ से ख़रीदा था l वास्तविक मालिक का पता चल गया जब जज ने कोर्ट के कमरे में ही उस कुत्ते को खोल दिया l पूंछ हिलाते हुए, वह अपने मालिक के पास दौड़ गया l
प्राचीन इस्राएल का एक न्यायी, सुलैमान को इस तरह का एक मामला सुलझाना पड़ा l दो महिलाएँ एक ही छोटे लड़के की माँ होने का दावा कर रही थीं l दोनों के दलील को सुनने के बाद, तलवार से उस बच्चे को दो भाग में विभाजित करने को कहा l बच्चे की असली माँ ने अपना बच्चा नहीं मिलने की स्थिति में भी उसकी जान बचाने के उद्देश्य से उसे दूसरी स्त्री को दे देने का आग्रह किया (1 राजा 3:26) l सुलैमान में उसे बच्चा दे दिया l
न्यायोचित और नैतिक, सही और गलत क्या है का निर्णय करने के लिए बुद्धिमत्ता अनिवार्य है l यदि हम सचमुच बुद्धि का मूल्य समझते हैं, हम सुलेमान की तरह, परमेश्वर से समझने वाला हृदय मांग सकते हैं (पद.9) l परमेश्वर दूसरों की रुचियों के साथ हमारी आवश्यकताओं और इच्छाओं को संतुलित करके हमारे निवेदन का उत्तर दे सकता है l वह दीर्घकालीन(कभी-कभी अनंत) लाभ के विरुद्ध अल्पकालीन लाभ को तौलने में हमारी मदद भी कर सकता है ताकि हम अपने जीवन जीने में उसका आदर कर सकें l
हमारा परमेश्वर केवल एक सिद्ध बुद्धिमान न्यायी ही नहीं है, किन्तु एक व्यक्तिगत परामर्शदाता भी है जो हमें बड़ी मात्रा में ईश्वरीय बुद्धिमत्ता भी देना चाहता है (याकूब 1:5) l
बुद्धिमत्ता चाहिए? उस एकमात्र श्रोत-परमेश्वर- में खोजें जो दे सकता है l