चिंतित पिता और उसका किशोर पुत्र मनोचिकित्सक के सामने बैठे थे l “मनोचिकित्सक ने पूछा, “आपका बेटा कितना दूर जानेवाला है?” उस व्यक्ति का उत्तर था, “उस बड़े शहर में, और वह बहुत समय तक वहाँ रहेगा l” पिता को एक ताबीज देते हुए, उसने कहा, “यह उसकी हर जगह रक्षा करेगा l”
हालाँकि, मैं ही वह लड़का था, मनोचिकित्सक और उसकी ताबीज मेरे लिए कुछ भी नहीं कर सके l उस शहर में रहते हुए, मैंने यीशु में विश्वास किया l मैंने वह ताबीज फेंककर मसीह में विश्वास कर लिया l मेरे जीवन में मसीह का होना परमेश्वर की उपस्थिति की गारंटी थी l
तीस वर्ष बाद, अब मेरे पिता विश्वासी हैं, मेरे भाई को हॉस्पिटल ले जाते समय उन्होंने मुझसे कहा, आओ पहले प्रार्थना करें; परमेश्वर का आत्मा तुम्हारे साथ जाएगा और सम्पूर्ण मार्ग में तुम्हारे साथ रहेगा!” हमने सीखा है कि परमेश्वर की उपस्थिति और सामर्थ्य ही हमारी सुरक्षा है l
मूसा ने ऐसा ही पाठ सीखा l उसे परमेश्वर ने एक चुनौतीपूर्ण कार्य सौंपा था – लोगों को मिस्र के दासत्व से निकालकर प्रतिज्ञात देश में पहुँचाना (निर्गमन 3:10) l किन्तु परमेश्वर ने उसे आश्वास्त किया, “मैं आप ही तेरे साथ चलूँगा” (पद.12) l
हमारी यात्रा में चुनौतियों का अभाव नहीं है, किन्तु हमें परमेश्वर की उपस्थिति की निश्चयता प्राप्त है l जिस प्रकार यीशु ने अपने शिष्यों से कहा, “देखो मैं जगत के अंत तक सदा तुम्हारे संग हूँ” (मत्ती 28:20 l
जब यीशु आपका सहचर है आपको अपनी यात्रा में डरने की ज़रूरत नहीं है l