जब मैं काम्पाला, यूगांडा, के अपने होटल से बाहर आया, हमारे सेमीनार के लिए मुझे लेने आयी मेरी परिचारिका ने मुझे एक अजीब मुस्कराहट से देखा l “मजाकिया क्या है?” मैंने पूछा l वह हंस कर पूछी, “क्या आपने अपने बाल में कंघी नहीं की?” अब मेरे हँसने की बारी थी, क्योंकि वास्तव में मैंने अपने बाल में कंघी नहीं की थी l मैंने अपने प्रतिबिम्ब को आईने में देखा था l जो मैंने देखा था उसपर ध्यान क्यों नहीं दिया?
व्यावहारिक समरूपता में, याकूब हमें वचन के अध्ययन को और लाभकारी बनाने हेतु कुछ उपयोगी आयाम देता है l जैसे हम खुद की जाँच करने के लिए आइना में देखते हैं कि कुछ सुधार तो नहीं चाहिए – बाल में कंधी, धुला चेहरा, शर्ट के लगे हुए बटन l आईने की तरह, बाइबल हमें अपना चरित्र, आचरण, विचार, और व्यवहार की जाँच करने में सहायता करती है (याकूब 1:23-24) l यह हमें अपने जीवन परमेश्वर के प्रगट सिद्धांतों के अनुकूल बनाने में सहायता करती है l हम “अपने जीभ पर लगाम” लगाएं (पद.26) और “ अनाथों और विधवाओं के क्लेश में उनकी सुधि लें” (पद.27) l हम अपने अन्दर वास करनेवाले परमेश्वर के पवित्र आत्मा की मानेंगे और अपने को “संसार से निष्कलंक” रखेंगे (पद.27) l
जब हम ध्यानपूर्वक “स्वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान” करते हैं और अपने जीवनों में लागू करते हैं, तो हम अपने कामों में आशीष पाएंगे (पद.25) l जब हम वचन के आईने में देखते हैं, हम नम्रता से ग्रहण कर सकते हैं जो हमारे “हृदयों में बोया गया” है (पद.21) l
जिस प्रकार आइना प्रतिबिम्ब को प्रतिबिंबित करता है,
बाइबल हमारे आतंरिक व्यक्तित्व को प्रगट करती है l