मेरे पति ने एक मित्र को चर्च बुलाया l आराधना के बाद उनके मित्र ने कहा, “मुझे गीत और वातावरण अच्छे लगे, किन्तु मुझे समझ में नहीं आता l आप यीशु को आदर का इतना ऊँचा स्थान क्यों देते हैं?” मेरे पति ने तब उसे समझाया कि मसीहियत मसीह के साथ एक रिश्ता है l उसके बिना, मसीहियत अर्थहीन हो जाता है l यीशु ने हमारे जीवनों में जो किया है उसी कारण हम इकठ्ठा होते और उसकी स्तुति करते हैं l
यीशु कौन है और उसने क्या किया है? प्रेरित पौलुस ने इस प्रश्न का उत्तर कुलुस्सियों 1 में दिया है l किसी ने परमेश्वर को नहीं देखा है, किन्तु यीशु उसे प्रतिबिंबित करने और प्रगट करने आया (पद.15) l परमेश्वर का पुत्र होकर, यीशु, हमारे लिए मृत्यु सहने और हमें पाप से छुड़ाने आया l पाप ने हमें परमेश्वर की पवित्रता से अलग कर दिया है, इसलिए किसी सिद्ध के द्वारा ही मेल हो सकता था l वही यीशु था (पद.14,20) l अर्थात्, यीशु ने हमें वह दिया जो कोई नहीं दे सकता था – परमेश्वर और अनंत जीवन तक पहुँच (यूहन्ना 17:3) l
क्यों वह इतने आदर के उच्च स्थान के योग्य है? उसने मृत्यु को पराजित किया l उसने अपने प्रेम और बलिदान से हमारे हृदयों को जीत लिया l वह हमें प्रतिदिन नयी सामर्थ्य देता है l वह हमारे लिए सब कुछ है?
हम उसकी महिमा करते हैं क्योंकि वह उसके योग्य है l हम उसे ऊँचा उठाते हैं क्योंकि वही उसका सही स्थान है l हम उसे अपने हृदयों में सर्वोच्च स्थान दें l
यीशु हमारी आराधना का केंद्र है l