“परन्तु मैं बाँटना नहीं चाहता!” मेरा सबसे छोटा बच्चा टूटे दिल के साथ चिल्लाया कि उसे अपने लेगो के अनेक टुकड़ों में से कुछ को बाँटना होगा। मैंने उसकी अपरिपक्वता को देखा, परन्तु वास्तविक रूप से यह नज़रिया छोटे बच्चों तक ही सीमित नहीं है। मेरे जीवन और वास्तव में मानवीय अनुभवों का कितना बड़ा हिस्सा दूसरों को स्वेच्छा और उदारता से देने से रोकने की ढिठाई से भरा हुआ है?

यीशु पर विश्वास करने वालों के रूप में, हमें अपने जीवन एक दूसरे के साथ बाँटने के लिए बुलाया गया है। रूथ ने ठीक ऐसा ही अपनी सास नाओमी के साथ किया। एक गरीब विधवा के रूप में रूथ को देने के लिए नाओमी के पास बहुत कम था। परन्तु फिर भी रूथ ने अपना जीवन अपनी सास के जीवन के साथ इस प्रकार मिलाया और शपथ ली कि वे एकसाथ सामना करेंगे और यहाँ तक कि मृत्यु भी उन्हें अलग नहीं करेगी। उसने नाओमी से कहा, “तेरे लोग मेरे लोग होंगे, और तेरा परमेश्‍वर मेरा परमेश्‍वर होगा (रूथ 1:16)। उसने प्रेम और दया दिखाते हुए उस वृद्ध महिला को दे दिया।

इस रीति से अपने जीवनों को बाँटना कठिन हो सकता है, परन्तु हमें ऐसी उदारता के प्रतिफल को स्मरण रखना चाहिए। रूथ ने अपना जीवन नाओमी के साथ बांटा, परन्तु बाद में उसने एक पुत्र, राजा दाऊद के दादा, को जन्म दिया। यीशु ने हमारे साथ अपना जीवन बांटा, परन्तु फिर ऊँचा उठाया गया और अब स्वर्ग में पिता के दाहिने हाथ से राज्य करता है। जब हम उदारतापूर्वक एक दूसरे के साथ बाँटते हैं, तो हमें निश्चय कर लेना चाहिए कि हम अभी भी बहुत अच्छा जीवन जिएँगे!