अमेरिका के जनगणना विभाग के अनुसार अपने सम्पूर्ण जीवनकाल के दौरान अमेरीकी औसतन ग्यारह से बारह बार एक पते से दूसरे पते पर चले जाते हैं। हालही के वर्ष में 28 लाख लोगों ने एक स्थान से अपना सामान बाँध कर एक दूसरी छत के नीचे उसे खोला।
निर्जन स्थान में इस्राएल के चालीस वर्षों के दौरान परमेश्वर की उपस्थिति के बादल ने सम्पूर्ण राष्ट्र का एक नए गृहनगर की आशा में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने में मार्गदर्शन किया। यह लेख इतनी बार दोहराया गया है कि यह लगभग एक मजाक जैसा लगने लगता है। इस विशाल परिवार ने बार-बार न केवल अपनी चीज़ों को बांधा और खोला बल्कि परमेश्वर के मिलाप का तम्बू, जहाँ बादल के परमेश्वर की मूसा से भेंट होती थी, और उसकी चीज़ों को भी बाँधा और खोला (देखें निर्गमन 25:22)।
अनेक वर्षों के पश्चात, यीशु इस्राएल के स्थानान्तरण की कहानी को एक सम्मपूर्ण अर्थ प्रदान करने वाला था। बादल से मार्गदर्शन करने के स्थान पर वह एक व्यक्ति के रूप में ही आ गया। जब उसने कहा, “मेरे पीछे हो लो (मत्ती 4:19), उसने यह दर्शाना आरम्भ कर दिया कि पते के बदलने के महत्वपूर्ण बदलाव हृदय रूपी मार्ग पर होते हैं। मित्र और शत्रु, दोनों को रोमी क्रूस तले ले जाते हुए उसने यह दर्शाया कि बादल का परमेश्वर और मिलाप का तम्बू हमें बचाने के लिए किस हद तक जा सकते हैं।
पते का बदलने की तरह हृदय के बदलाव भीबेचैन कर देने वाले होते हैं। परन्तु एक दिन पिता के घर की खिड़की से हम देखेंगे कि इन सब में यीशु ने सम्पूर्ण मार्ग में हमारा मार्गदर्शन किया।
प्रभु, तू जानता है कि हम बदलना बिल्कुल भी नहीं चाहते हैं। परन्तु हम तेरे पीछे चलना चाहते हैं। कृपया उस ओर जाने में हमारी सहायता कर जिस ओर तेरा प्रेम हमें आज ले कर जाना चाहता है।