विन्नी द पू का एक प्रसिद्ध कथन है “जिस व्यक्ति से आप बात कर रहे हैं, यदि वह सुनता हुआ प्रतीत नहीं हो रहा हो तो धैर्यवान बने रहें। यह भी हो सकता है कि उसके कान में रुई का एक रोआं हो।
वर्षों से मैंने सीखा है कि विन्नी कुछ कर रहा है। जब कोई आपको नहीं सुनता, यद्यपि आपकी सलाह को सुनना उनके लिए हितकर होगा, तो हो सकता है कि उनकी चुप्पी उनके कान में एक रुई के रोएँ से अधिक और कुछ न हो। या हो सकता है कि कोई और बाधा हो। कुछ लोगों के (लिए) सुनना बहुत ही कठिन होता है, क्योंकि वे अन्दर से टूटे हुए और निरुत्साहित होते हैं।
मूसा ने कहा कि उसने इस्राएल के लोगों से बात की परन्तु उन्होंने नहीं सुना क्योंकि उनकी आत्माएँ दुखी और उनका जीवन कठिन था (निर्गमन 6:9) । इब्रानी लेख में निरुत्साह शब्द का शब्दशः अर्थ “साँस का फूलना” होता है, जो मिस्र में उनके दासत्व का परिणाम था। उस परिस्थिति में, इस्राएल का मूसा के समझ और दया के निर्देशों को सुनने के लिए इच्छा न रखना, क्या निन्दा करने के योग्य नहीं है।
जब दूसरे लोग हमारी बात को नहीं सुनते, तब हमें क्या करना चाहिए? विन्नी द पू के शब्द बुद्धि से परिपूर्ण हैं: “धैर्यवान रहो। परमेश्वर कहते हैं, “प्रेम धैर्यवान है, प्रेम दयालु है” (1 कुरिन्थियों 13:4); वह प्रतीक्षा करने की इच्छा रखता है। उसका उस व्यक्ति में काम अभी समाप्त नहीं हुआ है। वह उनके दुःख में, हमारे प्रेम, हमारी प्रार्थनाओं के द्वारा उनमें काम कर रहा है। शायद, अपने समय में, वह सुनने के लिए उनके कानों को खोल देगा। धैर्यवान बने रहें।
धैर्य रखो। परमेश्वर का कार्य हम में अभी समाप्त नहीं हुआ है।