मरुभूमि में रहकर यूहन्ना बप्तिस्मा दाता के पद चिन्हों पर चलने के पूर्व, मिस्र की मेरी (c. AD 344-421) ने अपनी युवावस्था को अनुचित अभिलाषाओं और पुरुषों को बुरे रास्तों पर ले जाने में बिताए l अपने अनैतिक पेशे के शिखर पर, वह तीर्थयात्रियों को भ्रष्ट करने के प्रयास में यरूशलेम गयी l उसके बदले में, उसने अपने पापों के गहरे दोष का अनुभव किया और इसलिए निर्जन प्रदेश में पश्चाताप और एकाकीपन का जीवन व्यतीत किया l मेरी का मौलिक रुपान्तरण परमेश्वर के अनुग्रह का परिमाण और क्रूस के पुनर्स्थापन सामर्थ्य को समझाता है l
शिष्य पतरस ने यीशु का तीन बार इनकार किया l इनकार के कुछ घंटे पूर्व, पतरस ने यीशु के लिए मृत्यु सहने की इच्छा की घोषणा की थी (लूका 22:33), इसलिए उसके पराजय का अहसास एक तीव्र प्रहार था (पद.61-62) l यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान के बाद, पतरस कुछ शिष्यों के साथ मछली पकड़ रहा था जब यीशु उनके सामने प्रगट हुआ l यीशु ने तीन बार पतरस को उसके लिए अपने प्रेम को दर्शाने का अवसर दिया – उसके हर एक इनकार के लिए एक बार (यूहन्ना 21:1-3) l तब, हर एक घोषणा के बाद, यीशु ने पतरस से उसके लोगों की देखभाल करने की आज्ञा दी (पद.15-17) l अनुग्रह के इस चकित करनेवाले प्रदर्शन का परिणाम यह था कि पतरस ने कलीसिया निर्माण में मुख्य भूमिका निभायी और अंततः मसीह के लिए बलिदान हुआ l
हममें से किसी की भी जीवनी हमारे पराजय और हार की सूची से आरम्भ हो सकती है l किन्तु परमेश्वर का अनुग्रह हमेशा एक भिन्न अंत की अनुमति देता है l वह अपने अनुग्रह से, हमें छुटकारा देता है और रूपान्तरित करता है l
परमेश्वर का अनुग्रह हमें पापी से संत बना देता है l