सड़क छोड़कर और फूटपाथ पर ड्राइव करने के कारण पुलिस ने एक महिला पर लापरवाह ड्राइविंग की वजह दोषारोपित किया क्योंकि उसने एक स्कूल बस का इंतज़ार नहीं किया जो विद्यार्थियों को बस से उतार रही थी!

जबकि यह सच है कि इंतज़ार हमें अधीर कर सकता है, इंतज़ार में कुछ अच्छी बातें की जा सकती हैं और सीखी जा सकती हैं l यीशु इस बात से अवगत था जब उसने अपने शिष्यों से “यरूशलेम को न [छोड़ने]” को कहा (प्रेरितों 1:4) l वे “पवित्र आत्मा से बप्तिस्मा” प्राप्त करने का इंतज़ार कर रहे थे (पद.5) l

संभवतः उत्तेजना और अपेक्षा की स्थिति में, जब वे ऊपरी कोठरी में इकट्ठे थे, शिष्य शायद समझ रहे थे कि जब यीशु ने उनसे इंतज़ार करने को कहा था, वह उनसे कुछ करने को नहीं कहा था l उन्होंने प्रार्थना करने में समय व्यतीत किया (पद.14), और वचन से सूचित होकर, उन्होंने यहूदा के स्थान पर एक नये चेला का चुनाव किया (पद.26) l जब वे आराधना और प्रार्थना में संयुक्त थे, पवित्र आत्मा उनपर उतरा (2:1-4) l

शिष्य केवल इंतज़ार नहीं कर रहे थे – वे तैयारी भी कर रहे थे l जब हम परमेश्वर के सामने इंतज़ार करते हैं, इसका अर्थ कुछ नहीं करना नहीं है या अधीर होकर आगे बढ़ना भी नहीं l इसके बदले हम प्रार्थना, आराधना कर सकते हैं, और वह क्या करेगा की अपेक्षा करते हुए हम उसकी संगति का आनंद ले सकते हैं l इंतज़ार हमारे हृदयों, मनों, और शरीरों को आनेवाली बातों के लिए तैयार करता है l

वास्तव में, जब परमेश्वर हमें इंतज़ार करने की आज्ञा देता हैं, हम उत्तेजित हो सकते हैं – यह जानकार कि हम उसपर और हमारे लिए उसकी योजनाओं पर भरोसा कर सकते हैं!