लन्दन के पार्लियामेंट स्क्वायर में प्रदर्शित पुरुष प्रतिमाओं (नेल्सन मंडेला, विंस्टन चर्चिल, महात्मा गाँधी, और अन्य) के मध्य, एक अकेली महिला की भी प्रतिमा है l यह अकेली महिला मिल्लिसेंट फॉसेट है, जिसने स्त्रियों के वोट देने के अधिकार के लिए संघर्ष किया था l उसे ताम्बे/कांस्य में अमर कर दिया गया है – एक बैनर को थामी हुयी जिसपर उनके वे शब्द प्रदर्शित हैं जो उन्होंने श्रधांजलि के रूप में सह नारीमतार्थी(स्त्रियों के लिए राजनैतिक मताधिकार का समर्थक) को पेश किया था : “साहस हर जगह साहस का आह्वान करता है l” फॉसेट ने ज़ोर दिया कि एक व्यक्ति का साहस दूसरों को साहसी बनाता है – भीरु आत्माओं को क्रिया करने के लिए आह्वान करता है l
जब दाऊद ने अपने पुत्र सुलेमान को अपनी राजगद्दी देने की तैयारी की, उसने उन उत्तरदायित्वों को समझाया जो शीघ्र ही उसके कांधों पर भारी पड़ने वाले थे l हो सकता है सुलेमान ने जिनका सामना किया वह उस भार के तहत परेशान हुआ होगा अर्थात् परमेश्वर के निर्देशों को मानने के लिए इस्राएल का नेतृत्व करना, परमेश्वर द्वारा सुपुर्द देश की सुरक्षा करना, और मंदिर के बड़े निर्माण कार्य का प्रबंध एवं निरीक्षण करना (1 इतिहास 28:8-10) l
सुलेमान के घबराए हुए हृदय के विषय जानकार, दाऊद ने अपने पुत्र को ये सामर्थी शब्द दिए : “हियाव बाँध और दृढ़ [हो जा] . . . मत डर, और तेरा मन कच्चा न हो, क्योंकि यहोवा परमेश्वर जो मेरा परमेश्वर है, वह तेरे संग है” (पद.20) l वास्तविक सामर्थ्य कभी भी सुलेमान की अपनी कुशलता या भरोसे से नहीं आनेवाली थी परन्तु इसके बदले परमेश्वर की उपस्थिति और सामर्थ्य पर भरोसा करके l परमेश्वर ने सुलेमान को उसके ज़रूरत के अनुसार साहस दिया l
जब हम कठिनाई का सामना करते हैं, तो हम अक्सर साहस का ढोल पीटने की कोशिश करते हैं या खुद बहादुरी की बात करते हैं। हालाँकि, परमेश्वर, ही है जो हमारे विश्वास को नूतन करता है l वह हमारे साथ रहेगा l और उसकी उपस्थिति साहस के प्रति हमारा आह्वान करती रहेगी l
हे परमेश्वर, मैं अक्सर बहुत डरता हूँ l और जब मैं डरता हूँ, मैं अपनी बुद्धि या साहस पर निर्भर होने की परीक्षा में पड़ता हूँ – और वह हमेशा अपर्याप्त है l