“माई प्रेशियस (My Precious-काल्पनिक फिल्म) . . . l” अपने सनकी जुनून में “शक्ति के प्रेशियस/मूल्यवान अंगूठी के साथ” दुर्बल प्राणी गोल्लुम की छवि को टोलकिंस के लार्ड ऑफ़ द रिंग्स नाटकत्रय में सबसे पहले दिखाया गया था, जो आज लालच, जुनून, और पागलपन का भी चिन्हात्मक प्रारूप है l

यह कठिनाई से बताने योग्य एक छवि है l अंगूठी और खुद के साथ अपने प्रेम-घृणा के उत्पीड़ित सम्बन्ध में, गोल्लुम की आवाज़ हमारे अपने हृदयों की भूख की प्रतिध्वनि है l चाहे वह ख़ास तौर पर एक वस्तु की ओर निर्देशित हो, अथवा “और अधिक” की धुंधली लालसा ही हो हम निश्चित हैं कि हम आखिरकार अपना “प्रेशियस/मूल्यवान प्राप्त करने के बाद ही संतुष्ट होंगे l परन्तु इसके बदले, हमें सम्पूर्ण बनाने की हमारी सोच हमें पहले से अधिक खाली महसूस कराती है l

जीने का एक बेहतर तरीका है l जिस प्रकार भजन 16 में दाऊद व्यक्त करता है, जब हमारे हृदयों की लालसा हमें संतुष्टता की निराशाजनक, व्यर्थ खोज में पहुंचाने के लिए डराती हैं (पद.4), हम आश्रय के लिए परमेश्वर की ओर मुड़ना याद रखें (पद.1), खुद को याद दिलाते हुए कि उसके सिवा हमारे पास कुछ नहीं है (पद.2) l

और जब हमारी आँखें “वहां पर” संतुष्टता के लिए देखना बंद करके बदले में परमेश्वर की सुन्दरता पर टकटकी लगा ले (पद.8), हम अपने को आखिरकार सच्ची संतुष्टता का स्वाद चखते पाएंगे – [परमेश्वर की] उपस्थिति का आनंद उठाने वाला जीवन, “जीवन के मार्ग” में उसके साथ हर क्षण चलना – अभी और हमेशा तक (पद.11) l