आखिरी बार कब आप किसी की मदद करने के लिए विवश हुए थे, केवल किसी प्रतिक्रिया के बिना उस क्षण के गुज़रने के लिए? द 10-सेकंड रूल (The 10-Second Rule) में, क्लेयर डी ग्रेफ का सुझाव है कि दैनिक प्रभाव उन तरीकों में से एक हो सकता है जिसमें परमेश्वर हमें एक गहरी आध्यात्मिक सैर के लिए बुलाता है, आज्ञाकारिता का जीवन जो उसके लिए प्रेम से प्रेरित है l 10-दूसरा नियम आपको प्रोत्साहित करता है कि “आप विवेकी तौर पर अगली बात करें जो यीशु आपसे चाहते हैं,” और उसे तुरंत करें  “इससे पहले कि आप अपना मन बदल लें l”

यीशु कहते हैं, “यदि तुम मुझ से प्रेम रखते है, तो मेरी आज्ञाओं को मानोगे” (युहन्ना 14:15) l हम सोच सकते हैं, मैं उससे प्रेम करता हूँ, लेकिन मैं उसकी इच्छा और उसके अनुसरण के विषय कैसे निश्चित हो सकता हूँ? अपनी बुद्धिमत्ता में, यीशु ने बाइबल में पायी जानेवाली बुद्धिमत्ता को बेहतर समझने और उसका अनुसरण करने का प्रबंध किया है l उसने एक बार कहा था, “मैं पिता से विनती करूँगा और वह तुम्हें एक और सहायक देगा कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे l अर्थात् सत्य का आत्मा” (पद.16-17) l यह आत्मा के काम के द्वारा से है, जो हमारे साथ है और हममें है, कि हम यीशु की “आज्ञाओं को [मानना और पालन करना सीख सकते हैं]” (पद.15) – हमारे सम्पूर्ण दिन में उसके विवेकी बातों का अनुभव करते हुए प्रत्युत्तर देकर (पद.17) l   

बड़ी और छोटी बातों में, आत्मा हमें भरोसे के साथ विश्वास करने के लिए प्रेरित करता है कि कौन सी बातों से परमेश्वर का सम्मान होगा और उसके और दूसरों के लिए उसका प्रेम प्रगट होगा (पद.21) l