दाग़ की कहानियाँ
वह तितली मेरी माँ के पांडा-मुखी पैन्ज़ी फूलों के मध्य फुर्ती से अन्दर बाहर मंडरा रही थी l बालिका होने के कारण, मैं उसे पकड़ना चाहती थी l मैंने अपने पीछे के आँगन से दौड़कर रसोई से एक कांच का जार उठा ली, परन्तु जल्दबाजी में लौटते समय, ठोकर खाई और ठोस आँगन के फर्श से टकरा गयी l जार मेरी कलाई के नीचे चूर-चूर हो गया और एक बदसूरत कटे का दाग छोड़ गया जिसमें लगभग अठारह टाँके लगने थे l आज वह दाग मेरी कलाई पर एक इल्ली की तरह दिखाई देता है, और घायल होने और ठीक होने की कहानी बताता है l
जब यीशु अपनी मृत्यु के बाद अपने शिष्यों के समक्ष प्रगट हुआ, वह अपने दाग़ लेकर आया l युहन्ना बताता है कि थोमा उसके “हाथों में कीलों के दागों” को देखना चाहता था और यीशु ने थोमा को “अपनी ऊंगली . . . लाकर [उसके] हाथों में” और अपना हाथ [उसके] पंजर में” डालने के लिए आमंत्रित किया (युहन्ना 20:25, 27) l यह प्रगट करने के लिए कि वह वही यीशु था, वह अपनी मृत्यु में से दुःख के दागों के साथ जी उठा जो अभी भी दिखाई दे रहा था l
यीशु के दाग़ उसको उद्धारकर्ता प्रमाणित करते हैं और हमारे उद्धार की कहानी बताते हैं l उसके हाथों और पैरों के दाग और उसके पंजर में छेद वह कहानी बताते हैं कि उसने हमारे लिए पीड़ा सही और फिर हमें चंगाई दी l उसने ऐसा इसलिए किया ताकि हम उसके लिए पुनःस्थापित और पूर्ण किये जाएँ l
क्या आपने कभी मसीह के दाग़ द्वारा बतायी गयी कहानी पर विचार किया है?
अंधकार में ज्योति
दीज़ आर द जेनेरेशंस (These Are the Generations) पुस्तक में, मिस्टर बे परमेश्वर की विश्वासयोग्यता और सुसमाचार के सामर्थ्य का वर्णन करते हैं जो अंधकार में प्रवेश कर सकता है l उनके दादा, माता-पिता, और उनके अपने परिवार को मसीह में अपने विश्वास को साझा करने के कारण सताया गया l परन्तु मिस्टर बे के साथ एक रुचिकर घटना हुयी जब एक मित्र को परमेश्वर के विषय बताने के कारण उन्हें जेल में डाला गया : उसका विश्वास बढ़ गया l यही बात उनके माता पिता के लिए भी सच थी जब उन्हें एक बंदी शिविर में भेज दिया गया था – उन्होंने वहाँ भी लगातार मसीह का प्रेम साझा किया l मिस्टर बे ने युहन्ना 1:5 की प्रतिज्ञा को सच पाया : “ज्योति अंधकार में चमकती है, और अन्धकार ने उसे ग्रहण न किया l”
अपनी गिरफ्तारी और क्रूसीकरण से पहले, यीशु ने अपने शिष्यों को उनके सामने आनेवाली मुसीबत के विषय चेतावनी दी l वे लोगों द्वारा त्यागा जाने वाला था जो “ऐसा . . . इसलिए करेंगे कि उन्होंने न पिता को जाना है और न मुझे जानते हैं” (16:3) परन्तु उन्होंने तस्सली के शब्द कहे : “संसार में तुम्हें क्लेश होता है, परन्तु ढाढ़स बांधो, मैं ने संसार को जीत लिया है” (पद.33) l
जबकि यीशु के कई विश्वासियों ने मिस्टर बे के परिवार की तरह उनके स्तर तक के सताव का अनुभव नहीं किया है, हम मुसीबत का सामना करने की अपेक्षा कर सकते हैं l परन्तु हमें निराश या आक्रोशित नहीं होना चाहिए l हमारे पास एक सहायक है – पवित्र आत्मा जिसे यीशु ने भेजने का वादा किया था l हम मार्गदर्शन और तसल्ली के लिए उसकी ओर मुड़ सकते हैं (पद.7) l परमेश्वर की उपस्थिति की सामर्थ्य हमें अंधकारमय समय में दृढ़ता से थामे रहेगा l
सड़क जिस पर यात्रा नहीं की गयी हो
लोग मुझसे पूछते हैं कि क्या मेरे पास पंचवर्षीय योजना है l जिस सड़क पर मैंने कभी यात्रा नहीं की है, मैं पांच साल “आगे” की योजना कैसे बना सकता हूँ?
मैं मुड़कर 1960 के दशक में देखता हूँ जब मैं सैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में विद्यार्थी के मध्य पासबान था l मैं कॉलेज में भौतिक शिक्षा में विशेषता प्राप्त करने गया था और बहुत आनंद किया था, परन्तु मैं विद्वता हासिल नहीं कर सका l अपनी नयी जिम्मेदारी में मैंने खुद को अयोग्य महसूस किया l अधिकाँश दिन मैं परिसर में घूमता रहा, अँधेरे में एक अंधे आदमी की तरह टटोलते हुए, परमेश्वर से पूछता रहा कि मुझे क्या करना है l एक दिन एक विद्यार्थी “अनपेक्षित रूप से” मुझ से अपनी बिरादरी में एक बाइबल अध्ययन में अगुवाई करने को कहा l यही आरम्भ था l
परमेश्वर एक मोड़ पर खड़े होकर रास्ता नहीं बताता है : वह मार्गदर्शक हैं, कोई संकेतचिन्ह नहीं l वह हमारे साथ चलता है, उन रास्तों पर ले चलता है जिसकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी l केवल हमें उसके साथ-साथ चलना है l
मार्ग सरल नहीं होगा; मार्ग में “कठिन स्थान” भी होंगे l किन्तु परमेश्वर ने वादा किया है कि वह “अंधियारे को उजियाला” में बदल देगा और हमें “कभी न [त्यागेगा]” (यशायाह 42:16) l वह पूरे रास्ते हमारे साथ रहेगा l
पौलुस कहता है कि परमेश्वर “हमारी विनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता हैं” (इफिसियों 3:20) l हम योजना बना सकते हैं और कल्पना कर सकते हैं, परन्तु हमारे प्रभु की कल्पना हमारी योजनाओं से परे है l हमें उन्हें बंधनमुक्त रखना चाहिए और देखना चाहिए कि परमेश्वर के मन में क्या है l
एक योद्धा की तरह चलें
अठारह साल की एम्मा विश्वासयोग्यता से सोशल मीडिया पर यीशु के बारे में बात करती है, भले ही धौंस देनेवाले मसीह के लिए उसकी ख़ुशी और उत्साही प्रेम की आलोचना करते हैं l कुछ लोगों ने उसके शारीरिक रूप-रंग के बारे में टिप्पणी करके हमला किया l परमेश्वर में उसकी भक्ति के कारण दूसरों ने कहा कि उसमें बुद्धि की कमी है l यद्यपि कठोर शब्द एम्मा के हृदय में गहरी चोट पहुंचाते हैं, वह दृढ़ विश्वास और प्रेम के साथ यीशु और दूसरों के लिए सुसमाचार फैलाती है l कभी-कभी हालाँकि, वह अपनी पहचान और मूल्य को दूसरों की आलोचना पर निर्धारित मानती है l जब ऐसा होता है, वह परमेश्वर से सहायता मांगती है, अपने सतानेवालों के लिए प्रार्थना करती है, वचन पर चिंतन करती है, और आत्मा-सशक्त साहस और आत्मविश्वास में दृढ़ रहती है l
गिदोन ने भयंकर अत्याचारियों – मिद्यानियों – का सामना किया (न्यायियों 6:1-10) l यद्यपि परमेश्वर ने उसे “शूरवीर सूरमा” संबोधित किया, गिदोन को अपने संदेह, स्वयं द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों, और असुरक्षाओं से बाहर निकलने के लिए संघर्ष करना पड़ा (पद. 11-15) l एक से ज्यादा अवसरों पर, उसने परमेश्वर की उपस्थिति और अपने खुद की योग्यताओं पर संदेह किया, परन्तु आख़िरकार विश्वास करके आत्मसमर्पण कर दिया l
जब हम परमेश्वर पर भरोसा करते हैं, तो हम ऐसे जी सकते हैं जैसे हम विश्वास करते हैं कि वह जो हमारे बारे में कहता है वह सच है l उस समय भी जब सताव हमें हमारी पहचान पर संदेह करने के लिए प्रेरित करता है, हमारा प्रेमी पिता अपनी उपस्थिति की पुष्टि करता है और हमारे पक्ष में लड़ता है l वह इस बात की पुष्टि करता है कि हम पराक्रमी योद्धाओं की तरह लड़ सकते हैं, जो उसके सम्पूर्ण प्रेम से सज्जित है, उसके अनंत अनुग्रह और भरोसेमंद सत्य में सुरक्षित है l