अठारह साल की एम्मा विश्वासयोग्यता से सोशल मीडिया पर यीशु के बारे में बात करती है, भले ही धौंस देनेवाले मसीह के लिए उसकी ख़ुशी और उत्साही प्रेम की आलोचना करते हैं l कुछ लोगों ने उसके शारीरिक रूप-रंग के बारे में टिप्पणी करके हमला किया l परमेश्वर में उसकी भक्ति के कारण दूसरों ने कहा कि उसमें बुद्धि की कमी है l यद्यपि कठोर शब्द एम्मा के हृदय में गहरी चोट पहुंचाते हैं, वह दृढ़ विश्वास और प्रेम के साथ यीशु और दूसरों के लिए सुसमाचार फैलाती है l कभी-कभी हालाँकि, वह अपनी पहचान और मूल्य को दूसरों की आलोचना पर निर्धारित मानती है l जब ऐसा होता है, वह परमेश्वर से सहायता मांगती है, अपने सतानेवालों के लिए प्रार्थना करती है, वचन पर चिंतन करती है, और आत्मा-सशक्त साहस और आत्मविश्वास में दृढ़ रहती है l

गिदोन ने भयंकर अत्याचारियों – मिद्यानियों – का सामना किया (न्यायियों 6:1-10) l यद्यपि परमेश्वर ने उसे “शूरवीर सूरमा” संबोधित किया, गिदोन को अपने संदेह, स्वयं द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों, और असुरक्षाओं से बाहर निकलने के लिए संघर्ष करना पड़ा (पद. 11-15) l एक से ज्यादा अवसरों पर, उसने परमेश्वर की उपस्थिति और अपने खुद की योग्यताओं पर संदेह किया, परन्तु आख़िरकार विश्वास करके आत्मसमर्पण कर दिया l

जब हम परमेश्वर पर भरोसा करते हैं, तो हम ऐसे जी सकते हैं जैसे हम विश्वास करते हैं कि वह जो हमारे बारे में कहता है वह सच है l उस समय भी जब सताव हमें हमारी पहचान पर संदेह करने के लिए प्रेरित करता है, हमारा प्रेमी पिता अपनी उपस्थिति की पुष्टि करता है और हमारे पक्ष में लड़ता है l वह इस बात की पुष्टि करता है कि हम पराक्रमी योद्धाओं की तरह लड़ सकते हैं, जो उसके सम्पूर्ण प्रेम से सज्जित है, उसके अनंत अनुग्रह और भरोसेमंद सत्य में सुरक्षित है l