सावधानीपूर्वक बनाया गया
यू ट्यूब विडिओ में, न्यू यॉर्क के गोशेन में एक पनीर किसान (Cheese farmer) एलन ग्लसटोफ ने परिपक्वन(aging) पनीर की अपनी प्रक्रिया का वर्णन किया, एक प्रक्रिया जो पनीर के स्वाद और प्रकृति को बढ़ाती है l इससे पूर्व कि इसे किसी बाज़ार में भेजा जाए, पनीर का प्रयेक खण्ड छह से बारह महीनों के लिए एक भूमिगत गुफा में एक शेल्फ पर रखा रहता है l इस नम वातावरण में पनीर की सावधानी से देखभाल की जाती है l “हम इसे स्वादिष्ट बनाने के लिए सही वातावरण देने का . . . [और] इसे अपनी वास्तविक संभाव्यता तक विकसित करने के लिए पूरा प्रयास करते हैं,” ग्लसटोफ ने समझाया l
पनीर की क्षमता विकसित करने के लिए ग्लसटोफ के उत्साह ने मुझे अपने बच्चों की “सबसे अधिक क्षमता” विकसित करने के लिए परमेश्वर की अभिलाषा की याद दिलाई, ताकि वे फलदायी और परिपक्व हो जाएँ l इफिसियों 4 में, प्रेरित पौलुस इस प्रक्रिया में शामिल लोगों का वर्णन करता है : प्रेरित, भविष्यद्वक्ता, सुसमाचार प्रचारक, रखवाले, और उपदेशक (पद.11) l इन वरदानों के साथ लोग प्रत्येक विश्वासी की उन्नति को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ सेवा के कार्यों (पद 12 में वर्णित “काम”) को प्रोत्साहित करने में सहायता करते हैं l लक्ष्य यह है कि हम सिद्ध बन जाएँ, और मसीह के पूरे डील=डौल तक बढ़ जाएँ (पद.13) l
आध्यात्मिक उन्नति पवित्र आत्मा की सामर्थ्य के द्वारा होती है जब हम परिपक्व होने की उसकी परिक्रिया में खुद को समर्पित कर देते हैं l जब हम उन लोगों के मार्गदर्शन का अनुसरण करते हैं जिनको वह हमारे जीवनों में लाता है, हम और अधिक प्रभावशाली हो जाते हैं जब वह हमें सेवा करने के लिए भेजता है l
खतरनाक सामग्री
साईरन की आवाज़ बढ़कर कानों को चुभने वाली आवाज़ तक बढ़ गयी जब एक आपातकालीन वाहन गति से मेरे कार के निकट से निकली l उसकी चमकती रोशनी ने मेरे कार की विंडशील्ड(कार का हवारोधी शीशा) से होकर चमकते हुए, ट्रक के किनारे पर छपे हुए “खतरनाक सामग्री” शब्दों को प्रकाशित कर दी l बाद में मुझे पता चला कि यह किसी विज्ञान प्रयोगशाला की ओर गति से जा रहा था जहाँ 400 गैलन सल्फ्यूरिक एसिड का कंटेनर(container) रिसना शुरू हो गया था l आपातकालीन श्रमिकों को इसे तुरंत रोकना था क्योंकि यह अपने संपर्क में आनेवाले किसी भी चीज को क्षति पहुँचा सकता था l
जैसे ही मैंने इस समाचार पर विचार किया, मैंने सोचा कि मेरे मुँह से कठोर या आलोचनात्मक शब्द “रिसने” पर यदि हर समय साईरन की तेज़ आवाज़ सुनाई देती है तो क्या हो सकता है? दुर्भाग्यवश, यह हमारे घर के चारों ओर कोलाहलपूर्ण हो सकता था l
नबी यशायाह ने अपने पाप के विषय जागरूकता की इस भावना को साझा किया l जब उसने एक दर्शन में परमेश्वर की महिमा देखी, वह अपनी अयोग्यता से अभिभूत हो गया l उसने पहचान लिया कि वह “अशुद्ध होंठवाला मनुष्य” था और उसी समस्या को साझा करने वाले लोगों के साथ रहता था (यशायाह 6:5) l उसके आगे जो हुआ मुझे आशा देती है l एक स्वर्गदूत ने एक अंगारे से उसके होंठों को छूकर समझाया, “तेरा अधर्म दूर हो गया और तेरे पाप क्षमा हो गए” (पद.7) l
हम पल पल अपने शब्दों के विषय निर्णय कर सकते हैं – लिखित या उच्चारित दोनों l क्या वो “खतरनाक” सामग्री होगी, या हम परमेश्वर की महिमा को हमें दोषी ठहराने देंगे और उसके अनुग्रह को हमें चंगा करने देंगे ताकि हम जो भी व्यक्त करते हैं उसके द्वारा उसकी महिमा हो?
एक ईमानदार धन्यवाद
ज़ेवियर के पहले जॉब इन्टरव्यू की तैयारी में, मेरे पति, एलन ने हमारे बेटे को भावी नियोक्ताओं के साथ मुलाकात के बाद उनको भेजने के लिए उसे धन्यवाद कार्ड का एक पैकेट दिया l फिर उन्होंने किसी को नौकरी पर रखनेवाले साक्षात्कारकर्ता होने का नाटक किया, अपने दशकों के प्रबंधक के अनुभव का उपयोग करते हुए ज़ेवियर से सवाल पूछे l भूमिका निभाने के बाद, हमारे बेटे ने अपने संक्षिप्त विवरण(resume) की कई प्रतियाँ एक फोल्डर में रख लिया l वह मुस्कुराया जब एलन ने उसे कार्ड्स के विषय याद दिलाया l “मुझे मालूम है,” उसने कहा l एक ईमानदार धन्यवाद-नोट मुझे अन्य सभी आवेदकों से अलग कर देगा l”
जब प्रबंधक ने ज़विएर को नौकरी पर रखने के लिए बुलाया, उसने पहले हाथ से लिखे धन्यवाद-कार्ड के लिए आभार व्यक्त किया, जो उसने वर्षों बाद प्राप्त किया था l
धन्यवाद कहना एक स्थायी प्रभाव बनाता है l भजन संहिता की पुस्तक में भजनकारों की हार्दिक प्रार्थनाओं और कृतज्ञ उपासना को संरक्षित किया गया था l हालाँकि एक सौ पचास भजन हैं, ये दो पद कृतज्ञता के सन्देश को दर्शाते हैं : “हे यहोवा परमेश्वर, मैं अपने पूर्ण मन से तेरा धन्यवाद करूँगा; मैं तेरे सब आश्चर्यकर्मों का वर्णन करूँगा l मैं तेरे कारण आनंदित और प्रफुल्लित होऊंगा, हे परमप्रधान, मैं तेरे नाम का भजन गाऊँगा” (भजन 9:1-2) l
हम सभी परमेश्वर के अद्भुत कार्यों के लिए अपना आभार व्यक्त करना समाप्त नहीं कर पाएंगे l लेकिन हम अपनी प्रार्थनाओं के द्वारा ईमानदारी से धन्यवाद की शुरुआत कर सकते हैं, हम कृतज्ञ उपासना की जीवन शैली को विकसित कर सकते हैं, परमेश्वर की प्रशंसा करते हुए उसके द्वारा किये गए सभी कार्यों को स्वीकार करके और सब कुछ जो वह पूरी करने का वादा करता है l
लालची लोभी
प्राचीन कथा द बॉय एंड द फिल्बर्ट्स(नट्स)The Boy and the Filberts(Nuts) में, एक लड़का अपने हाथ बादाम के जार में डालकर मुठी भर बादाम निकालना चाहता है l लेकिन उसकी मुट्ठी इतनी भरी हुयी होती है कि वह जार में फंस जाती है l अपने इनाम का थोड़ा सा भी हिस्सा खोने के लिए तैयार नहीं होने पर, लड़का रोने लगता है l आखिरकार, उसे कुछ बादाम छोड़ने की सलाह दी जाती है कि उसका हाथ निकल जाए l लालच एक कठोर बॉस हो सकता है l
सभोपदेशक का बुद्धिमान शिक्षक हाथों के विषय एक सबक के साथ इस नैतिकता को दर्शाता है और वह हमारे बारे में क्या कहते हैं l उसने लालची के साथ आलसी की तुलना और विषमता दिखाया जब उसने लिखा : “मुर्ख छाती पर हाथ रखे रहता, और अपना मांस खाता है l चैन के साथ एक मुट्ठी उन दो मुट्ठियों से अच्छा है, जिनके साथ परिश्रम और मन का कुढ़ना है” (4:5-6) l जबकि आलसी तब तक विलम्ब करते हैं जब तक वे बर्बाद नहीं हो जाते, जो लोग धन का पीछा करते हैं उन्हें एहसास होता है कि उनका प्रयास “व्यर्थ है – एक दुखी व्यवसाय!” (पद.8) l
शिक्षक के अनुसार, अभिलाषित अवस्था लालची लोभी के परिश्रम से अलग होकर जो वास्तव में हमारा है उसमें संतोष प्राप्त करना है l क्योंकि जो हमारा है वह सदैव बना रहेगा l जैसे यीशु ने कहा, “यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा?