वह तितली मेरी माँ के पांडा-मुखी पैन्ज़ी फूलों के मध्य फुर्ती से अन्दर बाहर मंडरा रही थी l बालिका होने के कारण, मैं उसे पकड़ना चाहती थी l मैंने अपने पीछे के आँगन से दौड़कर रसोई से एक कांच का जार उठा ली, परन्तु जल्दबाजी में लौटते समय, ठोकर खाई और ठोस आँगन के फर्श से टकरा गयी l जार मेरी कलाई के नीचे चूर-चूर हो गया और एक बदसूरत कटे का दाग छोड़ गया जिसमें लगभग अठारह टाँके लगने थे l आज वह दाग मेरी कलाई पर एक इल्ली की तरह दिखाई देता है, और घायल होने और ठीक होने की कहानी बताता है l

जब यीशु अपनी मृत्यु के बाद अपने शिष्यों के समक्ष प्रगट हुआ, वह अपने दाग़ लेकर आया l युहन्ना बताता है कि थोमा उसके “हाथों में कीलों के दागों” को देखना चाहता था और यीशु ने थोमा को “अपनी ऊंगली . . . लाकर [उसके] हाथों में” और अपना हाथ [उसके] पंजर में” डालने के लिए आमंत्रित किया (युहन्ना 20:25, 27) l यह प्रगट करने के लिए कि वह वही यीशु था, वह अपनी मृत्यु में से दुःख के दागों के साथ जी उठा जो अभी भी दिखाई दे रहा था l

यीशु के दाग़ उसको उद्धारकर्ता प्रमाणित करते हैं और हमारे उद्धार की कहानी बताते हैं l उसके हाथों और पैरों के दाग और उसके पंजर में छेद वह कहानी बताते हैं कि उसने हमारे लिए पीड़ा सही और फिर हमें चंगाई दी l उसने ऐसा इसलिए किया ताकि हम उसके लिए  पुनःस्थापित और पूर्ण किये जाएँ l  

क्या आपने कभी मसीह के दाग़ द्वारा बतायी गयी कहानी पर विचार किया है?