निंदा से मुक्त
जब एक जोड़े ने अपने ट्रेलर वाले वाहन को सूखी उत्तरी कैलिफोर्निया से होकर निकाला, उन्हें एक टायर के फटने की और फूटपाथ पर धातु के रगड़ की आवाज़ आयी l चिंगारियों ने 2018 का कार्र फायर (Carr Fire) को प्रज्वलित कर दिया – जंगल की एक आग जिसने लगभग 230,000 एकड़ को जला दिया, और 1,000 से अधिक घरों को नष्ट कर दिया और इसके परिणामस्वरूप कई लोग मारे गए l
जब बचे हुए लोगों ने सुना कि दम्पति दुःख से किस तरह अभिभूत थे, उन्होंने उस दम्पति को जिन्हें “लज्जा और निराशा” ने ढँक लिया था “कृपा और दयालुता” दिखाने” के लिए एक फेसबुक पेज बनाया l एक महिला ने लिखा, “किसी की तरह जिसने इस आग में अपना घर खो दिया है – मैं चाहती हूँ कि आप जाने कि मेरा परिवार [आप पर दोष नहीं लगाता है], न ही कोई और परिवार जिन्होनें अपने घर खो दिए . . . l दुर्घटनाएं होती हैं l मुझे वास्तव में उम्मीद है कि इस तरह के सन्देश आपके बोझ को कम करेंगे l हम सब मिलकर इसको पार करेंगे l”
निंदा अर्थात् हमारा भय कि हमने कुछ कभी न सुधर सकने योग्य किया है, मानव आत्मा को बर्बाद कर सकता है l धन्यवाद हो कि पवित्र वचन यह बताता है कि “हम जानेंगे कि . . . जिस बात में हमारा मन हमें दोष देगा . . . परमेश्वर हमारे मन से बड़ा है” (1 यूहन्ना 3:20) l हमारी छिपी हुयी जो भी लज्जा हो, परमेश्वर इन सब से बड़ा है l यीशु हमें पश्चाताप के उपचार कार्य के लिए बुलाता है (यदि ज़रूरत हो) अथवा हमें भस्म करनेवाली लज्जा को बेनकाब करता है l उसके बाद. दिव्य छुटकारे का सामना करते हुए, हम, “अपने अपने मन को ढाढ़स दे सकेंगे” (पद.19) l
उन चीजों पर पछताना जिन्हें हम सुधार सकते थे, परमेश्वर हमें निकट बुलाता है l यीशु हमें देखकर मुस्करा कर कहता है, “तुम्हारा हृदय स्वतंत्र है l”
खोया हुआ लिफाफा
जब वह मुझे मिला हम अपने परिवार के साथ दूसरे राज्य से घर लौट रहे थे l मैं अपने वाहन में इंधन भर रहा था जब मैंने एक गन्दा, भारी लिफाफा धरती पर पड़ा हुए देखा l मैं उसे गन्दी और जैसा वह था की अवस्था में लपक लिया और उसके अन्दर देखा l मैं आश्चर्यचकित हुआ, उसमें सौ डॉलर के अनेक नोट थे l
सौ डॉलर के अनेक नोट जिन्हें किसी ने खो दिए थे और उस क्षण संभवतः कौन उन्हें व्यग्रतापूर्वक ढूँढ रहा होगा l मैंने उस पेट्रोल पंप के परिचारकों को अपना फोन नंबर दे दिया कि शायद कोई उसे ढूंढता हुआ वहाँ आए l परन्तु कभी किसी ने फोन नहीं किया l
किसी के पास वो पैसे थे और उसने उन्हें खो दिये l पृथ्वी पर का धन अक्सर ऐसा ही होता है l वह खो सकता है, चोरी हो सकता है, या यहाँ तक कि व्यर्थ खर्च किया जा सकता है l यह खराब निवेश में या किसी मौद्रिक बाज़ार में भी खो सकता है, जिस पर हमारा नियंत्रण नहीं है l लेकिन हमारे पास यीशु में जो स्वर्गिक खजाना है अर्थात् परमेश्वर के साथ एक पुनर्स्थापित सम्बन्ध और अनंत जीवन की प्रतिज्ञा, उस प्रकार का नहीं है l हम उसे पेट्रोल पंप पर या कहीं और नहीं खो सकते हैं l
यही कारण है कि मसीह ने हमें “स्वर्ग में धन” इकठ्ठा करने को कहा है (मत्ती 6:20) l हम ऐसा तब करते हैं जब हम “भले काम में धनी” (1 तीमुथियुस 6:18) या “विश्वास में धनी” (याकूब 2:5) बनते हैं – प्रेमपूर्वक दूसरों की मदद करके और उनके साथ यीशु को साझा करके l जैसे परमेश्वर हमारा मार्गदर्शन करता है और हमें सशक्त करता है, हम अनंत खज़ाने को भी संचित कर सकते हैं, जब हम अपने अनंत भविष्य की आशा करते हैं l
प्रेम का दूसरा पहलु
यीशु मसीह के समय रोमी सरायों की प्रतिष्ठा इतनी खराब थी कि रब्बी लोग उनमें मवेशियों को भी रखने की अनुमति नहीं देते था l ऐसी बुरी परिस्थितियों का सामना होने पर, मसीही यात्री आतिथ्य के लिए आमतौर पर अन्य विश्वासियों को ढूंढ़ते थे l
उन आरंभिक यात्रियों में झूठे शिक्षक होते थे जो इस बात से इनकार करते थे कि यीशु ही मसीहा/अभिषिक्त थे l इस वजह से 2 यूहन्ना की पत्री अपने पाठकों से कहता है कि आतिथ्य देने से इनकार करने का भी समय है l यूहना ने एक पिछली पत्री में कहा था कि ये झूठे शिक्षक “पिता और पुत्र का इनकार करनेवाले - ख्रीष्ट विरोधी थे” (1 यूहन्ना 2:22) l 2 यूहन्ना में उसने इस पर विस्तार से पाठकों को बताया कि जो यीशु को मानता है कि वह मसीहा है “उसके पास पिता भी है और पुत्र भी” (पद.9) l
फिर उसने चेतावनी दी, “यदि कोई तुम्हारे पास आए और यह शिक्षा न दे, उसे न तो घर आने दो और न नमस्कार करो” (पद.10) l झूठे सुसमाचार का प्रचार करनेवाले की पहुनाई करना वास्तव में लोगों को परमेश्वर से अलग रखने में मदद करेगा l
यूहन्ना की दूसरी पत्री हमें परमेश्वर के प्रेम का “दूसरा पहलु” दिखाता है l हम एक ऐसे परमेश्वर की सेवा करते हैं जो सभी का खुली बाहों से स्वागत करता है l लेकिन सच्चा प्यार उन लोगों को सक्षम नहीं करता जो धोखे से खुद को और दूसरों को धोखा देते हैं l परमेश्वर पश्चाताप के साथ आनेवालों के चारों ओर अपनी बाहें लपेटता है, लेकिन वह कभी भी झूठ को गले नहीं लगाता है l
क्या आशा है?
एडवर्ड पेसन(1783-1827) ने बेहद कठिन जीवन व्यतीत किया l उसके छोटे भाई की मृत्यु ने उसे अन्दर तक हिला दिया l वह बाईपोलर/bipolar (पागलपन अवसादक बीमारी) से जूझता रहा, और तीव्र अधकपारी सिरदर्द(migraine headache) से बहुत समय तक प्रभावित रहा l यदि यह पर्याप्त नहीं था, तो घोड़े से गिरने से उसके एक बांह में पक्षघात हो गया, और तपेदिक(TB) से मरते-मरते बचा! आश्चर्यजनक रूप से, उसकी प्रतिक्रिया निराशा और आशाहीनता की नहीं थी l उसके मित्रों ने कहा कि एडवर्ड के निधन से पहले, उसका आनंद तीव्र था l यह कैसे हो सकता है?
रोम के विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में, प्रेरित पौलुस ने परिस्थितियों की परवाह किए बिना परमेश्वर के प्रेम की वास्तविकता पर अपना पूर्ण विश्वास व्यक्त किया l उसने दृढ़ता से पूछा, “यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?” (रोमियों 8:31) l यदि परमेश्वर ने हमें बचाने के लिए अपने ही पुत्र, यीशु को दे दिया, तो वह इस जीवन को अच्छी तरह समाप्त करने के लिए हमारी सभी ज़रूरतें पूरी करेगा l पौलुस ने उन सात प्रतीत होने वाली असहनीय स्थितियों को सूचीबद्ध किया जिनका उसने स्वयं सामना किया था : क्लेश, संकट, उपद्रव, अकाल, नंगाई, जोखिम, और तलवार (पद.35) l उसने यह यह नहीं माना कि मसीह का प्रेम बुरी चीजों को होने से रोक देगा l लेकिन पौलुस ने कहा कि “इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिसने हम से प्रेम किया है, जयवंत से भी बढ़कर हैं” (पद.37) l
इस संसार की अनिश्चितता के द्वारा, परमेश्वर पर पूरी तरह से भरोसा किया जा सकता है, यह जानते हुए कि कुछ नहीं, बिलकुल कुछ भी नहीं, “हमें परमेश्वर के प्रेम से जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी” (पद.39) l