वरिष्ठ नागरिक भवन में, एक व्यक्ति आनंद से हाई स्कूल किशोर समूह को यीशु के विषय गाते हुए सुन रहा था। बाद में, जब कुछ किशोर उसके साथ संवाद करने की कोशिश किये, उन्होंने पाया कि वह बोलने में असमर्थ था। आघात ने उसके बोलने की योग्यता छीन लिया था।
क्योंकि वे उस व्यक्ति से संवाद नहीं कर सकते थे, किशोरों ने उसके लिए गाने का निर्णय किया। जब वे गाना शुरू किये, कुछ आश्चर्जनक हुआ। व्यक्ति जो बोल नहीं सकता था गाने लगा। उत्साह के साथ, वह ज़ोर से अपने नए मित्रों के साथ “प्रभु महान” गाने लगा।
यह क्षण सभी के लिए अद्भुत था। परमेश्वर के लिए उस व्यक्ति का प्रेम रुकावटों को तोड़ कर श्रव्य आराधना(audible worship) – हृदय को छू लेनेवाली, आनंदित आराधना – में व्यक्त हुआ।
हम सब के पास समय-समय पर आराधना में रुकावटें होती हैं। शायद एक सम्बन्ध संघर्ष या धन की समस्या अथवा यह एक हृदय हो सकता है जो परमेश्वर के साथ अपने सम्बन्ध में थोड़ा ठंडा हो गया है।
हमारा बोलने में असमर्थ मित्र हमें स्मरण दिलाता है कि हमारा सर्वशक्तिमान परमेश्वर किसी भी बाधा को दूर कर सकता है। “प्रभु महान – विचारुं कार्य तेरे, कितने अद्भुत जो तूने बनाए!”
क्या आप अपनी आराधना में संघर्ष कर रहे हैं? भजन 96 जैसे एक अंश को पढ़कर हमारा परमेश्वर कितना महान है पर चिंतन करें, और आप भी अपनी बाधाओं और आपत्तियों को प्रशंसा में बदला हुआ पाएंगे।
भजन 96 को पढ़ते समय, हमारे महान परमेश्वर के विषय कौन सी बात निकल कर आती है? आपको कभी-कभी आराधना करने में कौन सी बाधाएं रोकती हैं? आप मौन से प्रशंसा की ओर कैसे बढ़ सकते हैं?
हमारे महान परमेश्वर, मैं अवश्य ही आपके कार्यों को अद्भुत मानता हूँ। प्रभु महान!