Month: अप्रैल 2020

वास्तव में स्वतंत्र

अंग्रेजी फिल्म एमिस्टैड (Amistad) 1839 में पश्चिम अफ़्रीकी गुलामों की कहानी बताती है जो उन्हें ले जाने वाली नाव पर कब्ज़ा कर लेते हैं और कप्तान और चालक दल के कुछ सदस्यों को मृत्यु के घाट उतार देते हैं l आखिरकार उन्हें पुनः पकड़ लिया जाता है, और उन पर मुकदमा चलता है l एक अविस्मरणीय कोर्ट रूम दृश्य में गुलामों का अगुआ दिखाई देता है जो स्वतंत्रता के लिए भाव प्रवणता से गुहार लगा रहा होता है l जंजीरों से बंधा हुआ एक व्यक्ति टूटी हुयी अंग्रेजी में बढ़ते बल के साथ तीन सरल शब्दों को दोहराता है “हमें आज़ादी दो!” न्याय दिया गया और पुरुषों को मुक्त कर दिया गया l 

आज ज्यादातर लोग शारीरिक रूप से बंधे होने के खतरे में नहीं हैं, फिर भी पाप के आध्यात्मिक बंधन से सच्ची मुक्ति मायावी है l यूहन्ना 8:36 में यीशु के वचन सुखद राहत देते हैं : इसलिए यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करेगा, तो तुम वास्तव में स्वतंत्र हो जाओगे l” यीशु ने स्वयं को सच्चे उद्धार के श्रोत के रूप में इंगित किया क्योंकि वह किसी को भी क्षमा प्रदान करता है जो उस पर विश्वास करता है l हालाँकि, मसीह के कुछ दर्शकों ने स्वतंत्रता (पद.33) का दावा किया, उनके शब्द, दृष्टिकोण और यीशु के विषय उनके कार्य उनके दावे को धोखा दे रहे थे l 

यीशु उन लोगों को सुनने के लिए तरसता है जो उस दलील को दोहराएंगे और कहेंगे, हमें आज़ादी दो!” करुणा के साथ वह उन लोगों के रोने का इंतज़ार करता है जो अविश्वास या भय या असफलता से बंधे हुए हैं l स्वतंत्रता दिल की बात है l ऐसी स्वतंत्रता उन लोगों के लिए आरक्षित है जो विश्वास करते हैं कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है जिसे संसार में हमारे ऊपर पाप की पकड़ की सामर्थ्य को उसकी मृत्यु और पुनरुत्थान द्वारा तोड़ने के लिए भेजा गया l  

बिलकुल आपके समीप

यरूशलेम में एक डाक घर में हर दिन, कार्यकर्ता अवितरणीय चिट्ठियों के ढेर को इस प्रयास में छांटते हैं कि वे प्राप्तकर्ता तक पहुँच जाएं l उनमें से कई चिट्ठियाँ विशेष रूप से चिन्हित एक डिब्बा “परमेश्वर को भेजी गयी” में पहुँच जाती हैं l 

हर साल लगभग एक हज़ार ऐसे पत्र यरूशलेम पहुँचते हैं, जो बस परमेश्वर या यीशु को संबोधित होता है l उनके साथ क्या करना है, इससे हैरान होकर, एक कार्यकर्ता यरूशलेम की पश्चिमी दीवार तक पत्र ले जाने लगा ताकि उन्हें अन्य पत्रों के साथ पत्थर के खण्डों के बीच रख दे l अधिकांश पत्र नौकरी, जीवनसाथी या अच्छे स्वस्थ्य की मांग करते हैं l कुछ लोग क्षमा का अनुरोध करते हैं, अन्य केवल धन्यवाद देते हैं l एक व्यक्ति ने परमेश्वर से पुछा की क्या उसकी मृत पत्नी उसके सपनों में दिखाई दे सकती है क्योंकि वह उसे फिर से देखने के लिए तरस रहा है l प्रत्येक प्रेषक का मानना था कि परमेश्वर सुनेंगे, यदि केवल परमेश्वर तक पहुंचा जा सकता है l 

इस्राएलियों ने जंगल में यात्रा करते हुए बहुत कुछ सीखा l एक सबक यह था कि उनका परमेश्वर उस समय ज्ञात अन्य देवताओं की तरह नहीं था – जो दूर, बहरे, भौगोलिक रूप से सीमित हों, केवल लम्बी तीर्थयात्रा या अंतर्राष्ट्रीय मेल द्वारा पहुँच में हों l जब भी हम उससे प्रार्थना करते हैं, तो “हमारा परमेश्वर यहोवा,  . . . [हमारे समीप रहता है] (व्यवस्थाविवरण 4:7) l अन्य लोग क्या दावा कर सकते थे? यह क्रन्तिकारी समाचार था!

परमेश्वर यरूशलेम में निवास नहीं करता है l वह हमारे बहुत निकट है, हम जहां भी हैं l कुछ लोगों को अभी भी इस मौलिक सच्चाई को जानना है l काश उनमें से हर एक पत्र का जवाब दिया जा सकता : परमेश्वर आपके बिलकुल निकट है l तुरंत उससे बातें करें l 

आइये स्तुति करें!

जब एसतर के फोन का अलार्म हर दिन दोपहर 3.16 बजे बंद हो जाता है, तो वह एक प्रशंसा अवकाश लेती है l वह परमेश्वर का धन्यवाद करती है और उसकी भलाई को स्वीकार करती है l यद्यपि वह दिन भर परमेश्वर के साथ बातचीत करती है, एसतर को यह अवकाश लेना बहुत पसंद है क्योंकि यह उसके साथ उसके अन्तरंग संबंधों को मनाने में मदद करता है l 

उसकी आनंदमयी भक्ति से प्रेरित होकर, मैंने क्रूस पर उसके बलिदान के लिए मसीह का धन्यवाद करने और उन लोगों के लिए प्रार्थना करने के लिए प्रत्येक दिन एक विशिष्ट समय निर्धारित करने का फैसला किया, जिन्हें अभी तक बचाया जाना है l मुझे आश्चर्य करता हूँ कि ऐसा क्या होगा यदि यीशु में सभी विश्वासी अपने तरीके से उसकी प्रशंसा करना बंद कर दें और हर दिन दूसरों के लिए प्रार्थना करें l 

पृथ्वी के छोर तक पहुँचने वाली उपासना की खुबसूरत लहर की छवि भजन 67 में प्रतिध्वनित होती है l भजनकार परमेश्वर के अनुग्रह के लिए अनुनय करता है, समस्त राष्ट्रों में उसके नाम को महान करने की अपनी इच्छा की घोषणा करता है (पद.1-2) l वह गाता है, “देश देश के लोग तेरा धन्यवाद करें; देश देश के सब लोग तेरा धन्यवाद करें (पद..3) l 

वह उसके श्रेष्ठ प्रभुता और विश्वासयोग्य मार्गदर्शन का उत्सव मनाता है (पद.4) l परमेश्वर के महान प्रेम और बहुतायत की आशीषों की जीवित साक्षी के रूप में, भजनकार परमेश्वर के लोगों को प्रफुल्लित प्रशंसा में अगुवाई करता है (पद.5-6) l 

परमेश्वर का अपने अति प्रिय बच्चों के प्रति उसकी निरंतर विश्वासयोग्यता उसे मानने में हमें प्रेरित करती है l जब हम ऐसा करते हैं, दूसरे उसमें भरोसा, उसका आदर, अनुसरण, करने में और उसे प्रभु स्वीकार करने में हमारे साथ मिल जा सकते हैं l 

जल में होकर

फिल्म द फ्री स्टेट ऑफ़ जोंस, यू.एस. गृह युद्ध की कहानी बताती है जिसमें न्यूटन नाईट और कुछ संग-सदस्य और गुलाम जिन्होंने संयक्त सेना की मदद की थी और फिर युद्ध के बाद गुलामों के मालिकों का विरोध किया l कई लोग नाईट को नायक संबोधित करते हैं, परन्तु दो गुलामों ने उसके सेना त्याग के बाद पहले उसके जीवन को बचाया था l उन्होंने उसे बहुत अन्दर एक एकांत दलदली भूमि में ले गए और उसके घायल टांग की देखभाल की जिसे वह सहन कर रहा था जब वह मित्र सेना से भाग रहा था l यदि वे उसे छोड़ दिए होते, तो वह मर गया होता l 

यहूदा के लोग घायल और हताश थे, और असहाय महसूस कर रहे थे l अश्शूर ने इस्राएल पर जीत हासिल की थी, और यशायाह ने नबूवत की थी कि एक दिन वे (यहूदा) एक दुश्मन अर्थात् बेबीलोन से पराजित होंगे l यहूदा को एक ऐसे परमेश्वर की ज़रूरत थी जो मदद कर सकता था, जो बचा सकता था और जो उनको नहीं त्यागेगा l कल्पना कीजिए, तब, उस बढ़ती उम्मीद की जब लोग परमेश्वर के आश्वासन को सुने, : “मत डर, क्योंकि मैं तेरे साथ हूँ” (यशायाह 43:5) l उन्हें जिस भी विपत्ति का सामना करना पड़ता या परेशानी झेलनी पड़ती, वह उनके साथ साथ रहने वाला था l वह उनके साथ “जल में होकर” जानेवाला था, सुरक्षा की ओर उनका मार्गदर्शन करने वाला था (पद.2) l वह उनके साथ “आग में” चलने वाला था, झुलसा देनेवाली लपटों में भी मदद करने वाला था (पद.2) l 

सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र में, परमेश्वर अपने लोगों के साथ रहने, हमारी देखभाल करने, हमारा मार्गदर्शन करने, और कभी नहीं त्यागने का वादा करता है – चाहे जीवन में या मृत्यु में l जब आप खुद को कठिन स्थानों में पाते हैं तब भी, परमेश्वर आपके साथ है l वह आपको जल में होकर निकलने में मदद करेगा l