फिल्म द फ्री स्टेट ऑफ़ जोंस, यू.एस. गृह युद्ध की कहानी बताती है जिसमें न्यूटन नाईट और कुछ संग-सदस्य और गुलाम जिन्होंने संयक्त सेना की मदद की थी और फिर युद्ध के बाद गुलामों के मालिकों का विरोध किया l कई लोग नाईट को नायक संबोधित करते हैं, परन्तु दो गुलामों ने उसके सेना त्याग के बाद पहले उसके जीवन को बचाया था l उन्होंने उसे बहुत अन्दर एक एकांत दलदली भूमि में ले गए और उसके घायल टांग की देखभाल की जिसे वह सहन कर रहा था जब वह मित्र सेना से भाग रहा था l यदि वे उसे छोड़ दिए होते, तो वह मर गया होता l 

यहूदा के लोग घायल और हताश थे, और असहाय महसूस कर रहे थे l अश्शूर ने इस्राएल पर जीत हासिल की थी, और यशायाह ने नबूवत की थी कि एक दिन वे (यहूदा) एक दुश्मन अर्थात् बेबीलोन से पराजित होंगे l यहूदा को एक ऐसे परमेश्वर की ज़रूरत थी जो मदद कर सकता था, जो बचा सकता था और जो उनको नहीं त्यागेगा l कल्पना कीजिए, तब, उस बढ़ती उम्मीद की जब लोग परमेश्वर के आश्वासन को सुने, : “मत डर, क्योंकि मैं तेरे साथ हूँ” (यशायाह 43:5) l उन्हें जिस भी विपत्ति का सामना करना पड़ता या परेशानी झेलनी पड़ती, वह उनके साथ साथ रहने वाला था l वह उनके साथ “जल में होकर” जानेवाला था, सुरक्षा की ओर उनका मार्गदर्शन करने वाला था (पद.2) l वह उनके साथ “आग में” चलने वाला था, झुलसा देनेवाली लपटों में भी मदद करने वाला था (पद.2) l 

सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र में, परमेश्वर अपने लोगों के साथ रहने, हमारी देखभाल करने, हमारा मार्गदर्शन करने, और कभी नहीं त्यागने का वादा करता है – चाहे जीवन में या मृत्यु में l जब आप खुद को कठिन स्थानों में पाते हैं तब भी, परमेश्वर आपके साथ है l वह आपको जल में होकर निकलने में मदद करेगा l